मुकुल राय ने विश्व बांग्ला ट्रेडमार्क पर अभिषेक बनर्जी का मालिकाना हक होने का किया था दावा
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ लम्बा कानूनी तकरार के बाद पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार बहुविवादित विश्व बांग्ला ट्रेडमार्क का अधिकार प्राप्त करने में सफल हो गई.
अपने विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के लिए इस्तेमाल के लिए राज्य सरकार ने ट्रेडमार्क अथॉरिटीज ऑफ इंडिया से इसका पंजीकरण करा लिया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी की ओर से इस पर मालिकाना हक का दावा करने की संभावनाएं समाप्त हो गयीं. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने नवंबर वर्ष 2013 में विश्व बांग्ला को अपना ट्रेडमार्क होने का दावा करते हुए ट्रेडमार्क अथॉरिटीज ऑफ इंडिया के समक्ष अपना आवेदन किया था, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बनाया था और वर्ष 2014 में एक करार के तहत उन्होंने राज्य सरकार को इस्तेमाल करने के लिए दिया था. इससे पहले से ही राज्य सरकार सितंबर 2013 से विश्व बांग्ला को सरकारी सेवाओं और उत्पादों के ट्रेडमार्क के रुप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था.
तब अभिषेक बनर्जी ने इस पर अपना अधिकार होने का दावा पेश किया. उन्होंने दावा किया कि विश्व बांग्ला ट्रेडमार्क का सृजन उनकी बुआ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया है और इसको बढ़ावा देने के लिए उन्होंने बहुत धन खर्च किया है, जिसके कारण बाजार में विश्व बांग्ला ट्रेडमार्क की विश्वनीयता और ख्याति बढ़ी है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री के भतीजे और राज्य सरकार के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई.
लेकिन यह मामला उस समय प्रकाश में आया, जब तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने के कुछ दिन बाद मुकुल राय ने नवंबर 2017 में कोलकाता में आयोजित एक जनसभा में विश्व बांग्ला ट्रेडमार्क पर अभिषेक बनर्जी का मालिकाना हक होने का दावा किया था. लेकिन मुकल राय के आरोप का जवाब देने के लिए तृणमूल कांग्रेस का कोई नेता सामने नहीं आया. राज्य के लघु और कुटीर उद्योग सचिव राजीव सिन्हा और अन्य विभाग के सचिवों ने विश्व बांग्ला ट्रेडमार्क पर लघु और कुटीर उद्योग विभाग का मालिकाना हक होने का दावा किया.
लेकिन ट्रेडमार्क अथॉरिटीज ऑफ इंडिया ने स्पष्ट कर दिया था कि विश्व बांग्ला पर राज्य सरकार के किसी भी विभाग का अधिकार नहीं है. इसके बाद दवाब में आ कर अभिषेक बनर्जी ने अपने सभी आवेदन वापस ले लिया और राज्य सरकार ने फिर से विश्व बांग्ला पर अपना मालिकाना हक होने का दावा किया.