नारदा स्टिंग मामला : Apple ने दिया CBI को झटका, मैथ्यू के फोन का पासवर्ड बताने से किया इनकार
सीबीआइ ने फोन का पासवर्ड बताने का किया था आवेदन कोलकाता : नारदा स्टिंग मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दुनिया की सबसे बड़ी फोन कंपनी ऐपल इंक की ओर से बड़ा झटका मिला है. कंपनी ने नारद के पूर्व सीईओ मैथ्यू सैमुअल के फोन पासवर्ड (ऐपल कोड) को सीबीआई के […]
सीबीआइ ने फोन का पासवर्ड बताने का किया था आवेदन
कोलकाता : नारदा स्टिंग मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दुनिया की सबसे बड़ी फोन कंपनी ऐपल इंक की ओर से बड़ा झटका मिला है.
कंपनी ने नारद के पूर्व सीईओ मैथ्यू सैमुअल के फोन पासवर्ड (ऐपल कोड) को सीबीआई के साथ साझा करने से इनकार कर दिया. दिल्ली के शीर्ष सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से बीते सोमवार को सीबीआई से संपर्क किया था. कंपनी ने जांच एजेंसी को बताया कि अपने ग्राहकों के पर्सनल डीटेल्स किसी के साथ साझा नहीं करना उनकी पॉलिसी है, जिसका किसा भी हालात में उल्लंघन नहीं किया जा सकता.
लेकिन कंपनी ने इस बात की पुष्टि की है कि मैथ्यू सैमुअल के आईफोन 4 एस मोबाइल से ही स्टिंग शूट किया गया है. सीबीआई ने इससे पहले विदेश मंत्रालय को पत्र लिख कर फोन कंपनी ऐपल से नारद के पूर्व सीईओ मैथ्यू सैमुअल द्वारा इस्तेमाल किए गए आईफोन की जानकारी हासिल करने में मदद मांगी थी.
सूत्रों के अनुसार, ऐपल क्लाउड प्लैटफॉर्म पर स्टोर मूल फुटेज तक पहुंचने के लिए सीबीआई कुछ समय के लिए ऐपल कंपनी के संपर्क में थी. जांच एजेंसी को अदालत में कुछ कठिन तकनीकी सवालो का भी सामना करना पड़ रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि सैमुअल के पासवर्ड का खुलासा करने से ऐप्पल के इनकार का मतलब है कि सीबीआई सैमुअल द्वारा उपलब्ध कराए गए 28 मिनट के मूल फुटेज से मैच नहीं करवा पाएगी. तृणमूल नेताओं अपरूपा पोद्दार और इकबाल अहमद ने कलकत्ता हाई कोर्ट में टेप की प्रामाणिकता को इस आधार पर चुनौती दी थी कि फोन के बिना इन फुटेज की प्रमानिकता का पता लगाया नहीं जा सका.
जबकि सैमुअल का दावा है कि बैठकों को शूट करने के बाद उन्होंने फोन के डाटा को लैपटॉप में ट्रांसफर कर दिया था. उन्होंने सीबीआई को लैपटॉप जमा किया है न कि उनका ऐपल फोन. पोद्दार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने आरोप लगाया कि सैमुअल ने सीबीआई को सौंपने से पहले लैपटॉप को फॉर्मैट कर दिया था. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि इसके अंदर का मेटाडेटा मिटा दिया गया था, ताकि डेटा के स्थानांतरण या संशोधन का पता लगा पाना असंभव हो जाए.
बता दें कि 2016 में हुए राज्य के विधानसभा चुनाव के पहले यह स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जिसके टेप कई न्यूज ऑर्गनाइजेशंस को भेजे गए थे. इसमें पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता कथित तौर पर रिश्वत लेते दिखाए गए थे. इस स्टिंग में पूर्व राज्यसभा सांसद मुकुल राय, लोकसभा सांसद सौगत राय, अपरूपा पोद्दार, सुल्तान अहमद, प्रसून बनर्जी और काकोली घोष दस्तीदार के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की थी.