इडी ने नलिनी चिदंबरम को फिर किया तलब

कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने सारधा चिटफंड घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामलों की जांच के लिए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम को फिर से समन भेजा है. इडी के अधिकारियों ने बताया कि नलिनी को जांच एजेंसी के कोलकाता कार्यालय में 20 जून को तलब किया गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2018 3:43 AM
कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने सारधा चिटफंड घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामलों की जांच के लिए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम को फिर से समन भेजा है. इडी के अधिकारियों ने बताया कि नलिनी को जांच एजेंसी के कोलकाता कार्यालय में 20 जून को तलब किया गया है. इससे पहले उन्हें सात मई को हाजिर होने के लिए समन भेजा गया था, लेकिन उन्होंने इसे मद्रास उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
नलिनी पेशे से वकील हैं. इससे पहले उन्होंने इडी के समन को लेकर अपनी अपील में न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम के 24 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने इडी के समन के खिलाफ नलिनी की याचिका को खारिज कर दिया गया था. अदालत ने उनकी इस दलील को नहीं माना कि किसी महिला को जांच के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत उसके घर से दूर नहीं बुलाया जा सकता.
अदालत ने कहा कि इस तरह की छूट कोई अनिवार्य नहीं है और यह संबंधित मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करती है. न्यायाधीश ने इडी को नलिनी के नाम नया समन जारी करने को कहा था. इसके बाद एजेंसी ने 30 अप्रैल को समन जारी कर उन्हें सात मई को उपस्थित होने को कहा.
एजेंसी ने कहा कि वह इस मामले से उनके संबंध पर धन शोधन रोधक कानून (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज करना चाहती है. इडी ने सबसे पहले नलिनी को सात सितंबर, 2016 को समन कर सारधा चिट फंड घोटाले में गवाह के रूप में कोलकाता कार्यालय में पेश होने को कहा था. नलिनी को कथित रूप से अदालत और कंपनी विधि बोर्ड में टीवी चैनल खरीद सौदे में सारधा समूह की ओर से उपस्थिति होने के लिए 1.26 करोड़ रुपये की फीस दी गयी थी. इडी और सीबीआइ उनसे इस मामले में पहले भी पूछताछ कर चुकी हैं. एजेंसी सूत्रों ने दावा किया कि कुछ नये प्रमाण मिलने के बाद उन्हें नये सिरे से समन किया गया है.
मद्रास हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान नलिनी ने कहा था कि यह समन राजनीति से प्रेरित है जो उनकी छवि को खराब करने के लिए जारी किया गया है. उन्होंने कहा था कि किसी आरोपी का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिवक्ता द्वारा फीस ली जाती है और यह कोई अपराध नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में कोलकाता की विशेष पीएमएलए अदालत में 2016 में आरोपपत्र दायर किया था.

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