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ट्रक मालिकों की देशव्यापी बेमियादी हड़ताल शुरू
कोलकाता : पेट्रोल- डीजल की कीमत में लगातार वृद्धि व वाणिज्यिक वाहनों के थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में हुर्ह वृद्धि के खिलाफ ट्रकों मालिकों की देशव्यापी बेमियादी हड़ताल सोमवार से शुरू हो गयी. इस हड़ताल का बंगाल पर भी व्यापक असर देखने को मिला है. बंगाल में भी सोमवार को सभी ट्रक बंद रहे. इस […]
कोलकाता : पेट्रोल- डीजल की कीमत में लगातार वृद्धि व वाणिज्यिक वाहनों के थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में हुर्ह वृद्धि के खिलाफ ट्रकों मालिकों की देशव्यापी बेमियादी हड़ताल सोमवार से शुरू हो गयी. इस हड़ताल का बंगाल पर भी व्यापक असर देखने को मिला है. बंगाल में भी सोमवार को सभी ट्रक बंद रहे. इस संबंध में फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव एस घोष ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम की दर में बढ़ोतरी से वे खासा परेशान हैं. इसके साथ ही राज्य में ट्रकों में ओवरलोडिंग के मामलों पर अंकुश लगाने व ट्रक चालकों पर पुलिस की ओर से किये जा रहे जुल्म को भी बंद करने की मांग की गयी है.
उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 3.5 लाख ट्रक का परिचालन होता है, जिसमें से 90 प्रतिशत ट्रक मालिक व चालक हड़ताल को अपना समर्थन कर रहे हैं. वहीं जानकारों का मानना है कि अगर यह हड़ताल लंबी चलती है तो बाजार में जरूरी सामानों की कीमतों में इजाफा की गुंजाइश बढ़ जायेगी.
इधर, ऑल इंडिया कॉनफेडरेशन आफ गुड्स व्हीकल ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चन्ना रेड्डी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में वृद्धि के खिलाफ शुरू हुई इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को तब तक जारी रखा जायेगा, जब तक हमारी सभी मांगों को सरकार नहीं मान लेती.
वहीं, उन्होंने पूरे देश भर में 90 लाख ट्रकों के सड़क से दूर रहने की उम्मीद जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार का तर्क है कि ईंधन की कीमत में वृद्धि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के कारण हुई है, लेकिन हमें लगता है कि मूल्य वृद्धि का कारण अंतर्राष्ट्रीय कीमतें नहीं, बल्कि केंद्र व राज्यों द्वारा लगाये गये उच्च कर हैं. मौजूदा हालात यह है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में इजाफा से लगभग 30-40 प्रतिशत ट्रकों की सेवा ठप पड़ गयी है और कोई भी ट्रक मालिक नुकसान उठाकर ट्रक संचालन नहीं कर सकता है, जहां तक राज्य की बात है तो यहां भी ट्रक मालिकों व चालकों की स्थिति बद से बदत्तर हो गयी है.
हालांकि लंबे समय से एफडब्ल्यूबीटीओए की ओर से राज्य में ट्रकों में ओवरलोडिंग के मामलों पर अंकुश लगाने की मांग हो रही है. लेकिन इसको लेकर वर्तमान तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गये हैं.
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