कोर कमेटी में ममता की अहम बातें, युवा को तृणमूल के अधीन काम करने की नसीहत

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की कोर कमिटी की बैठक में ममता बनर्जी ने खासतौर पर छात्र संगठन और युवा संगठन के नेताओं को सतर्क किया है. उन्होंने छात्र संगठन के नेताओं से कहा कि आपलोगों का काम है छात्रों के हितों को देखना. लोगों से पैसा वसूलना नहीं. अगर छात्र संगठन करना है, तो नीति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2018 1:58 AM
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की कोर कमिटी की बैठक में ममता बनर्जी ने खासतौर पर छात्र संगठन और युवा संगठन के नेताओं को सतर्क किया है. उन्होंने छात्र संगठन के नेताओं से कहा कि आपलोगों का काम है छात्रों के हितों को देखना. लोगों से पैसा वसूलना नहीं. अगर छात्र संगठन करना है, तो नीति और आदर्श के लिए करें. पैसों को अहमियत नहीं दें, क्योंकि ऐसा करनेवालों को बख्शा नहीं जायेगा.
ममता बनर्जी ने युवा संगठन के लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि पार्टी के अंदर वह समानांतर संगठन चलाते हुए पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करें, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के अधीन ही युवा को काम करना है. तृणमूल कांग्रेस ही मूल पार्टी है. इसके साथ बाकी शाखा संगठन हैं. लिहाजा सभी लोगों को तृणमूल के अधीन ही काम करना होगा.
इसके साथ ही जिलों में युवा और तृणमूल कांग्रेस का अलग-अलग दफ्तर बनाने का भी विरोध करते हुए कहा कि एक दिन में एक ही कार्यक्रम होगा. अलग-अलग नाम से एक ही दिन कार्यक्रम करने को सहन नहीं किया जायेगा. ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के श्रमिक संगठन की कमान पूरी तरह से दोला सेन के हाथों में देते हुए उनके सहयोग के लिए मलय घटक को साथ लगा दिया. ममता ने साफ कहा कि अभी तक पार्टी को चलाने के लिए श्रमिक संगठन से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिला है.
लिहाजा पार्टी के कार्यकर्ता आम लोगों के पास जायें और उनसे एक-दो रुपये चंदा लें. उसमें 25 फीसदी हिस्सा अपने इलाके में संगठन का काम करने के लिए खर्च करें, बाकी पार्टी फंड में जमा करें. इसके साथ ही दोला को कमान देने के साथ ममता ने एक तरह से श्रमिक संगठन से शोभन देव चट्टोपाध्याय का पत्ता साफ कर दिया है. वहीं, दक्षिण 24 परगना की कमान शोभन चटर्जी के हाथों में रखते हुए ममता ने उनके सहयोग में एक और नेता को लगा दिया है. कुल मिलाकर ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि पार्टी में रहना है, तो सादा जीवन उच्च विचार के साथ नीति और आदर्श की राजनीति करनी होगी.

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