नागपुर में प्रणब दा के भाषण के बाद आरएसएस के प्रति पश्चिम बंगाल में बढ़ गया रूझान

संगठन से जुड़ने के लिए आने वाले आवेदनों में गुणात्मक वृद्ध हुई कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी भारत के सबसे बड़े राज्य पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर भारत में अपने आधार की वृद्धि के लिए दशकों से मेहनत कर रहा है. उसे लगातार इसमें सफलता भी मिल रही है. उसकीवैचारिकऊर्जा सेसंचालितराजनीतिक संगठन भाजपा के बढ़ते आधार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2018 8:30 AM

संगठन से जुड़ने के लिए आने वाले आवेदनों में गुणात्मक वृद्ध हुई

कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी भारत के सबसे बड़े राज्य पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर भारत में अपने आधार की वृद्धि के लिए दशकों से मेहनत कर रहा है. उसे लगातार इसमें सफलता भी मिल रही है. उसकीवैचारिकऊर्जा सेसंचालितराजनीतिक संगठन भाजपा के बढ़ते आधार से भी इस बात के संकेत मिलते हैं.अब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उनके गृह राज्य पश्चिम बंगाल में संगठन में शामिल होने का अनुरोध करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता बिप्लब रॉय ने कहा कि नागपुर में सात जून को प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद संगठन में शामिल होने के लिए संघ को लोगों की तरफ से कई आवेदन मिले हैं. रॉय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ एक जून से छह जून के बीच औसतन हमें हमारी वेबसाइट ‘जॉइन आरएसएस’ पर राष्ट्रीय स्तर पर रोजाना 378 अनुरोध प्राप्त होते थे. सात जून को हमारे शिक्षा वर्ग को मुखर्जी के संबोधित करने के बाद से हमें 1779 आवेदन मिले हैं. सात जून के बाद हमें रोजाना 1200-1300 अनुरोध मिल रहे हैं. ‘ उन्होंने कहा कि इसमें से 40 फीसदी अनुरोध बंगाल से आए हैं.

यह पूछे जाने पर कि मुखर्जी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने से क्या लोगों के बीच आरएसएस की लोकप्रियता बढ़ी है तो उन्होंने कहा, ‘‘ इस तरीके से व्याख्या करना सही नहीं होगा कि मुखर्जी की वजह से आरएसएस की स्वीकार्यता बढ़ी है. आरएसएस समाज में अपनी गतिविधियों की वजह से लोगों के बीच लोकप्रिय है.’ उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन, हां. मुखर्जी के भाषण के बाद से लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है. यह उसके कारणों में से एक है.’

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