पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने का स्थायी उपाय ढूंढ़ रही सरकार
कोलकाता : यह बात सही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव कुछ गिरा है. इसके चलते भारत में भी रिकॉर्ड ऊंचाई छूनेवाले पेट्रोल और डीजल की दरें भी थोड़ी घटी हैं. बावजूद इसके पेट्रोल और डीजल की महंगाई आम लोगों के पसीने छुड़ा रही है. महंगे ईंधन का बोझ आम उपभोक्ता मन […]
कोलकाता : यह बात सही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव कुछ गिरा है. इसके चलते भारत में भी रिकॉर्ड ऊंचाई छूनेवाले पेट्रोल और डीजल की दरें भी थोड़ी घटी हैं. बावजूद इसके पेट्रोल और डीजल की महंगाई आम लोगों के पसीने छुड़ा रही है. महंगे ईंधन का बोझ आम उपभोक्ता मन मार कर उठा रहे हैं. सरकार डीजल और पेट्रोल से जुड़ी महंगाई की मार से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए दीर्घावधि उपायों पर विचार कर रही है.
ये बातें इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आइसीइएक्स) के प्रबंध निदेशक संजीत प्रसाद ने कहीं. उन्होंने कहा कि ऐसे चार विकल्प हैं, जिनके माध्यम से सरकार पेट्रोल और डीजल की महंगाई पर अंकुश लगा सकती है. पहला है जीएसटी. पिछले साल देश में लागू की गयी नयी कर व्यवस्था जीएसटी से पेट्रोल और डीजल को बाहर रखा गया है. देखा जाये, तो डीजल और पेट्रोल की खुदरा लागत में 50 प्रतिशत हिस्सा करों का है. यदि इन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाता है और 40 प्रतिशत के टैक्स दायरे में रखा जाता है, तो भी उपभोक्ताओं पर ईंधन खर्च से जुड़ा महंगाई का बोझ कुछ कम किया जा सकता है.
वायदा कारोबार के जरिये भी पेट्रोल और डीजल के भाव में होनेवाले भारी उतार-चढ़ाव से हितों की रक्षा की जा सकती है. इसी के मद्देनजर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आइसीइएक्स) को डीजल-पेट्रोल में वायदा कारोबार शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है. लेकिन वायदा बाजार में डीजल-पेट्रोल का कारोबार तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि इसके लिए बाजार नियामक सेबी की मंजूरी नहीं मिल जाती है.
इसके लिए आइसीइएक्स ने सेबी के पास आवेदन जमा किया है और बाजार नियामक उसके प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.
उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से तैयार हैं और सेबी की मंजूरी मिलने के बाद एक दिन के भीतर पेट्रोल-डीजल में वायदा कारोबार शुरू कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कुल जरूरत का 20 प्रतिशत हिस्सा ओएनजीसी मुहैया कराती है, जिसे ऊंची दर पर बेच कंपनी ने पैसा बनाया है. ओएनजीसी को सरकार कह सकती है कि वह सस्ते दर पर कच्चे तेल की आपूर्ति करे, ताकि बाजार में पेट्रोल और डीजल का भाव कम किया जा सके.
तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक एशियाई देशों के साथ सौतेला व्यवहार करता है. भारत सहित सभी एशियाई देशों से ओपेक ज्यादा कीमत वसूलता है, जबकि पश्चिमी देशों को वह सस्ता तेल मुहैया कराता है. एकजुट होकर एशियाई देश ओपेके पर दबाव बनायें, तो कच्चे तेल की दर में छूट मिल सकती है. इस दिशा में भी भारत ने प्रयास शुरू कर दिया है और चीन के साथ उच्चस्तरीय बातचीत हुई है.