रेटिना की समस्या अंधेपन का मुख्य कारण

कोलकाता: एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक भारत में दृष्टिहीन लोगों की समस्या बढ़ कर करीब 1.5 करोड़ हो सकती है. कॉर्निया से जुड़ी के संबंध में लोग परिचित है, लेकिन आंखो की रेटिना से जुड़ी बीमारियों के संबंध में आम लोगों के पास विशेष जानकारी नहीं. यह बाते महानगर के जीडी अस्पताल व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2018 1:57 AM
कोलकाता: एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक भारत में दृष्टिहीन लोगों की समस्या बढ़ कर करीब 1.5 करोड़ हो सकती है. कॉर्निया से जुड़ी के संबंध में लोग परिचित है, लेकिन आंखो की रेटिना से जुड़ी बीमारियों के संबंध में आम लोगों के पास विशेष जानकारी नहीं. यह बाते महानगर के जीडी अस्पताल व डायबिटीज इंस्टिट्यूट के अॉबर्थोमोलॉजी (नेत्र) विभागाध्यक्ष डॉ सिद्धार्थ घोष ने कहीं. वह महानगर के प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.
डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि रेटिनल समस्याओं के कारण लोग अंधेपन के भी शिकार हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि रेटिना आंख का वह भाग हैं, जहां फाइनल विजन बनता है. अगर रेटिना किसी कारण क्षतिग्रस्त हो जाये ,तो मरीज को दिखाई देना बंद हो जायेगा. मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) और डायबिटीज मैक्यूलर इडिमा (डीएमई) रेटिनल बीमारियां हैं, जो लगातार बढ़ती रहती है और एक बार रौशनी जाने के बाद इसे दोबारा पाना मुमकिन नहीं होता.
डॉक्टर ने कहा कि उक्त समस्या के कारण ही बुजुर्गों की रोशनी चली जाती है. दुनियाभर में करीब 8.7 फीसदी लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं. इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को पहले आंख में सूजन तथा देखने में परेशानी होती है. इसे अनदेखी करने वाले लोगों की रोशनी सदा के लिए चली जा सकती है. लेकिन सटिक चिकित्सा से इस बीमारी से बचा जा सकता है.

Next Article

Exit mobile version