डॉक्टर्स डे विशेष : आज भी गुमनाम हैं कांच से कोख के ज

कोलकाता : गीता में कहा गया है कि निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है, लेकिन यह परिणाम और उसके मायने सब के लिए अलग-अलग होते हैं. जहां बंगाल के सुप्रसिद्ध चिकित्सक और दूसरे मुख्यमंत्री बिधान चंद्र राय की जयंती व पुण्यतिथि के रूप में एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. वहीं आइवीएफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2018 2:49 AM
कोलकाता : गीता में कहा गया है कि निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है, लेकिन यह परिणाम और उसके मायने सब के लिए अलग-अलग होते हैं. जहां बंगाल के सुप्रसिद्ध चिकित्सक और दूसरे मुख्यमंत्री बिधान चंद्र राय की जयंती व पुण्यतिथि के रूप में एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है.
वहीं आइवीएफ तकनीक से समूचे देश को टेस्ट ट्यूब बेबी का उपहार देनेवाले वैज्ञानिक व चिकित्सक अपने ही शहर में गुमनामी के अंधेरे में गुम हैं. हैरत तो तब हुई जब हम उनका पैतृक आवास ढूंढ़ते-ढूंढ़ते इंटाली स्थित कोलकाता नगर निगम के गैरेज के पास की गली एजेसी बोस रोड पहुंचे. स्थानीय लोगों से इस महान चिकित्सक व वैज्ञानिक सुभाष मुखोपाध्याय के घर के बारे में पूछताछ करने पर वे भौचक्के रह गये. आखिरकार मकान मिला 14 नंबर वार्ड में और वह भी बदहाल हालत में. जहां डॉ सुभाष के छोटे भाई दिवंगत प्रभाष मुखर्जी की पत्नी रेवा मुखर्जी अपने परिवार के साथ रहती हैं.
आहत होकर मौत को गले लगाया
बंगाल की धरती को कर्मभूमि बना कर बांझपन के अभिशाप को समाज से दूर कर गर्भाधान की वैकल्पिक तकनीकी की खोज करनेवाले डॉ सुभाष ने सिस्टम की उपेक्षा से आहत होकर मौत को गले लगा लिया. जबकि डॉ सुभाष अक्सर अपनी मां (ज्योत्सना मुखर्जी) से कहते थे, देखना मुझे एक दिन नोबेल जरूर मिलेगा, लेकिन नोबेल के बदले एक सुसाइड नोट मिला, जिस पर डॉ मुखोपाध्याय ने आत्महत्या करने से पहले लिखा था- हृदय ते वेदना सोज्जो ना कोरते पेरे चोले गेलाम (हृदय की वेदना नहीं सहने के कारण इस दुनिया से विदा ले रहा हूं).
इतिहास ने किया अन्याय
हाल के दिनों में कैरियर को प्राथमिकता देनेवाले युवक-युवतियों के लिए आइवीएफ तकनीकी वरदान बन कर उभरी है. कभी निःसंतान होना एक अभिशाप माना जाता था. आज गांव से लेकर शहर तक जगह-जगह विज्ञापन नजर आते हैं, निःसंतान हैं? ना हो परेशान, क्योंकि आइवीएफ तकनीक है आपके साथ. ‘कांच से कोख’ ( टेस्ट ट्यूब बेबी) तकनीक के जनक डॉ सुभाष खुद निःसंतान रहे. उनकी पत्नी भी अब इस दुनिया में नहीं हैं. रेवा मुखर्जी कहती हैं कि इतिहास ने उनके साथ अन्याय किया है. डॉ बिधानचंद्र राय ने एक चिकित्सक, शिक्षाविद् व राजनेता के रूप में समाज व देश के लिए जो कुछ किया बदले में उन्हें भारत रत्न और उनके जन्म दिवस को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा, लेकिन डॉ सुभाष को कुछ नहीं मिला.
डॉ सुभाष को मिले पद्म विभूषण
डॉ सुभाष के सहयोगी रहे प्रोफेसर सुनीत मुखर्जी बताते हैं कि डॉ मुखोपाध्याय का योगदान अतुलनीय है. सरकार व चिकित्सकों की साजिश के कारण दुनिया ने असमय ही ऐसे महान वैज्ञानिक को खो दिया. आज उनके दिखाये रास्ते का अनुसरण किया जा रहा है. ऐसे महान चिकित्सक व वैज्ञानिक को पद्म विभूषण मिलना ही चाहिए.
कौन थे डॉ सुभाष
झारखंड के हजारीबाग में 16 जनवरी 1931 को जन्मे डॉ सुभाष फिजियोलॉजी विशेषज्ञ थे. उन्होंने महानगर के एनआरएस मेडिकल कॉलेज, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज स्थित रिजनल इंस्टीट्यूट अॉफ अॉबर्थोमोलॉजी तथा बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दीं. डॉ मुखोपाध्याय की निगरानी में तीन अक्तूबर 1978 को दुर्गा (भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी, दुनिया की दूसरी) का जन्म हुआ. उसके ठीक 67 दिन पहले ब्रिटेन में रॉबर्ट एडवर्ड और पैट्रिक स्टेपटो की निगरानी में दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस जोय ब्राउन का जन्म हुआ था. उसके लिए रॉबर्ट एडवर्ड को 2010 का मेडिसीन में नोबेल पुरस्कार दिया गया.
कर्मचारियों की नियुक्ति व उनके बेहतर उपयोग पर राज्य स्तरीय समिति
मुख्य सचिव के नेतृत्व में बनी कमेटी में होंगे उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रधान सचिव, राज्य के डीजीपी, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव, पी एंड एआर विभाग के प्रधान सचिव,भूमि व भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिवअमर शक्ति৪ ৪৪4 कोलकातापश्चिम बंगाल सरकार ने विभिन्न विभागों में नियुक्तियों के लिए नयी राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है, इस समिति के अनुमोदन के बिना किसी भी विभाग में नई नियुक्तियां नहीं की जा सकेंगी.
यह नियम राज्य सरकार के अधीनस्थ सभी पर्षद, निगम, ग्रामीण व शहरी निकाय व सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों पर लागू होगा. जानकारी के अनुसार, यह कमेटी सभी विभागों द्वारा रिक्त पदों को भरने के प्रस्ताव को वित्त विभाग में सौंपे जाने से पहले इसकी जांच करेगी और इस कमेटी के अनुमोदन मिलने के बाद ही इसे वित्त विभाग को सौंपा जायेगा. साथ ही यह कमेटी स्वीकृत पदों के अनुसार विभिन्न कार्यालयों में मौजूदा कर्मचारियों का आंकलन करेंगे और वहां कर्मचारियों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार करेंगे.
विभागों में अतिरिक्त कर्मचारियों के युक्तिकरण और पुनर्वितरण के कार्यान्वयन की निगरानी करेंगे. कमेटी को सभी विभाग की प्रत्येक कर्मचारी की कौशलता को पहचानते हुए उनके मौजूदा पदों के पुनर्निर्माण और नए पद के निर्माण का सुझाव देगी. सरकारी कार्यकलाप में बेहतर करियर संभावनाओं, गतिशीलता और दक्षता को सक्षम करने के लिए कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों के भर्ती नियमों में परिवर्तन करने का प्रस्ताव कमेटी द्वारा पेश किया जायेगा.
इसके साथ ही लोगों को बेहतर परिसेवाएं प्रदान करने के लिए क्या-क्या बदलाव करने होंगे, इसका सुझाव भी यह कमेटी देगी. बताया गया है कि सरकारी प्रतिष्ठानों, स्थानीय निकाय, बोर्ड, निगमों, उपक्रमों और सभी अनुदान-सहायता-सहायता संस्थानों में सेवा कैडर के पदों / पुनर्गठन के निर्माण / पुनर्गठन के लिए सभी प्रस्तावों को पहली बार वित्त विभाग द्वारा सहमति प्राप्त करने से पहले इस समिति द्वारा जांच की जाएगी और उसके बाद इसे कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए रखा जायेगा.

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