पीजी कोर्स में समानता के लिए नयी व्यवस्था

कोलकाता : कलकत्ता यूनिवर्सिटी अब सभी एफिलियेटेड कॉलेजों पर अपना नियंत्रण व निगरानी तेज करेगी. विशेषकर कॉलेज कैंपस में पीजी कोर्स के पाठ्यक्रम में समानता बनाये रखने के लिए एक नयी नीति बनायी जायेगी. इसमें पाठ्यक्रम में समानता बरतने के लिए एक विशेष टीम बनायी जायेगी. अगली सिंडिकेट बैठक में कलकत्ता यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2018 5:32 AM
कोलकाता : कलकत्ता यूनिवर्सिटी अब सभी एफिलियेटेड कॉलेजों पर अपना नियंत्रण व निगरानी तेज करेगी. विशेषकर कॉलेज कैंपस में पीजी कोर्स के पाठ्यक्रम में समानता बनाये रखने के लिए एक नयी नीति बनायी जायेगी. इसमें पाठ्यक्रम में समानता बरतने के लिए एक विशेष टीम बनायी जायेगी.
अगली सिंडिकेट बैठक में कलकत्ता यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जायेगा. इसमें सभी कॉलेजों में समान पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम शुरु करने का प्रस्ताव पेश करने व इसके सभी पहलुओं पर शिक्षाविदों की राय ली जायेगी. जब कोई कॉलेज, पी जी कोर्स के लिए आवेदन करेगा तो प्रथम 3 सालों के लिए कलकत्ता यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा ही इसका पाठ्यक्रम ठीक किया जायेगा.
इसके बाद कॉलेजों को इस बात की स्वायत्ता होगी कि वे यूनिवर्सिटी की मंजूरी के बाद अपना पाठ्यक्रम अपने ढंग से तैयार करें. देखा गया है कि कलकत्ता यूनिवर्सिटी के पी जी विभाग व कॉलेजों में चलाये जा रहे पाठ्यक्रम के बीच गुणवत्ता के आधार पर काफी असमानता है. कॉलेजों में लगातार पी जी कोर्स खोलने की अनुमति के बाद पाठ्यक्रम के स्तर पर असर पड़ा है.
हालांकि कुल नामांकन में बढ़ोतरी हुई है लेकिन पी जी अध्यापन व मूल्यांकन की गुणवत्ता पर असर पड़ा है. ऐसा शिक्षाविदों का मानना है.
अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है. कुछ कॉलेज धीमी गति से यूजी कोर्स चला रहे हैं, ये ही कॉलेज उसी समान क्षमता से पी जी कोर्स भी शुरु करने की व्यवस्था कर रहे हैं. इस विषय में यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने बताया कि अगली सिंडिकेट बैठक में कॉलेजों द्वारा चलाये जा रहे पी जी कोर्स के लिए एक समान पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया जायेगा.
इसमें कलकत्ता यूनिवर्सिटी द्वारा ही प्रश्नपत्र तैयार करने के साथ कॉलेजों में पी जी परीक्षा के लिए शिड्यूल भी तैयार किया जायेगा. यूनिवर्सिटी से ही प्रश्नपत्र आयेंगे व परीक्षा केन्द्र पर बांटे जायेंगे. इस पर हर स्तर पर शिक्षकों की राय ली जा रही है.

Next Article

Exit mobile version