कोलकाता : यात्रियों की जिंदगी की परवाह नहीं बसवालों को

मनोरंजन सिंह कोलकाता : अक्सर ट्रेनों में सीट नहीं मिलने, रिजर्वेशन नहीं हो पाने या अधिक भीड़ की वजह से आराम और सुरक्षित सफर के इरादे से दूरगामी बसों की ओर रूख करने वाले लोगों के लिए इन दिनों बसों में ओवरलोडिंग परेशानी का सबब बन गयी है. इससे हादसे का खतरा बना रहता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2018 6:21 AM
मनोरंजन सिंह
कोलकाता : अक्सर ट्रेनों में सीट नहीं मिलने, रिजर्वेशन नहीं हो पाने या अधिक भीड़ की वजह से आराम और सुरक्षित सफर के इरादे से दूरगामी बसों की ओर रूख करने वाले लोगों के लिए इन दिनों बसों में ओवरलोडिंग परेशानी का सबब बन गयी है. इससे हादसे का खतरा बना रहता है.
कोलकाता से दूसरे राज्यों खासकर बिहार, ओड़िशा और झारखंड जाने वाली बसों पर रोजाना ही ओवरलोडिंग का बोझ बढ़ता जा रहा है.
इसका नतीजा है कि हादसों में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. आये दिन दूरगामी बसें कभी कोलकाता आने के क्रम में, तो कभी रांची अथवा पटना जाते वक्त हादसों का शिकार हो जाती हैं. जैसे मानों बसें भी कह देती हैं कि मैं ओवरलोड भी चल दूंगी लेकिन गंतव्य तक पहुंचने के लिए अपनी सुरक्षा की चिंता आप खुद ही कीजिए.
कमाई का बड़ा जरिया है ओवरलोडिंग!: बाबूघाट से मूलत: बिहार, झारखंड और ओड़िशा के लिए बसें जाती हैं. झारखंड के लिए रांची, टाटा जैसे बड़े शहर, बिहार के पटना, गया, बिहार शरीफ, नवादा और मुजफ्फरपुर और ओड़िशा के लिए पुरी, भुवनेश्वर और कटक के लिए बसें जाती हैं. इनमें एसी व नॉन एसी दोनों ही प्रकार की बसें रहती हैं.
इन रूटों पर ओवरलोडिंग, कमाई का एक बड़ा जरिया है. यात्री बस की छत सामान से भर दी जाती है. इनमें अक्सर ऐसे सामान होते हैं जिन्हें आमतौर पर लॉरी के जरिये भेजा जाता है. दूरगामी बस संगठन इसे कबूल भी करते हैं.
ढाई सौ से हजार रुपये तक लेते हैं माल का किराया: इधर कोलकाता से रांची और टाटा जाने वाली बस के एक लोडिंग इंचार्ज मोहम्मद नसीर ने पूछेजाने पर कहा कि साइज व सामान के मुताबिक ही पैसा लिया जाता है. लगभग दो वर्ग फीट के पैक मॉल के लिए ढाई सौ रुपये और उससे बड़ा साइज रहने पर 500-600 रुपये तक लिया जाता है.
इसी तरह कोलकाता से पटना जाने वाली बस के लोडिंग इंचार्ज से पूछने पर पता चला कि लोडिंग के लिए छोटे साइज के 400 रुपये और उससे बड़े के लिए 500 से 800 रुपये तक चार्ज है. बड़े बोरे की पैकिंग पर किराया 800 रुपये होता है. वजन के संबंध में उनका कहना था कि वजन उतना ही होना चाहिए जितना लोडिंग करने वाले उसे लोड कर सकें.
इसी तरह से पटना के एक अन्य दूरगामी बस इंचार्ज से पूछे जाने पर जवाब मिला कि छोटे सामान यानी ढाई वर्ग फीट की साइज के सामान के लिए किराया 450 रुपये है और उससे बड़े के लिए एक हजार रुपये तक किराया लिया जाता है.
लोडिंग हो जायेगी, सुरक्षा आप समझे: कोलकाता से दूसरे राज्यों को जाने वाली इन सभी बसों के चालक अथवा लोडिंग इंचार्ज का एकमात्र ध्येय यही रहता है कि बस में अधिक से अधिक सामान लोड कर लिया जाये. भले ही सामान भेजने वाले के पास उस सामान का दस्तावेज हो या न हो. उन्हें इससे कोई मतलब नहीं वह केवल किराये से मतलब रखते हैं.
कोलकाता से रांची जाने वाली बस सर्विस के संगठन से जुड़े लोगों से जब इस बाबत पूछा गया तो स्पष्ट जवाब मिला कि रास्ते में अगर माल से जुड़ी कोई समस्या आती है और माल को जब्त भी कर लिया जाता है तो इससे उनको कोई मतलब नहीं है. इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं. उल्लेखनीय है कि सामान की बुकिंग के वक्त न तो सामान की चेकिंग होती है और न ही उससे जुड़े किसी दस्तावेज की.
नियमों की धज्जियां उड़ रहीं: बस संगठन यह मानते हैं कि सरकारी नियम में सामान की अधिकतम ऊंचाई तीन फुट होनी चाहिए लेकिन बावजूद इसके इस नियम पर कोई ध्यान नहीं देता. सामान की ऊंचाई तय सीमा से दुगनी भी पहुंच जाये तो भी कोई देखने वाला नहीं है.
नियमों की धज्जियां उड़ाने और अनियंत्रित ओवरलोडिंग से हादसों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ओवरलोडेड बसों पर नजर दौड़ायें तो हम पायेंगे कि बसों की छतों पर एक के ऊपर एक बक्से, कार्टन, बोरे आदि में भरकर सामान लादे गये हैं. उन्हें देखकर ही यह पता चल जाता है मानों वह हादसे से दो-चार होने के लिए ही निकल रही हैं. बाबूघाट में यह दृश्य आम है.
अक्सर कोशिश रहती है कि ओवरलोडिंग न हो. हमलोग भी ओवरलोडिंग नहीं चाहते हैं, यह सभी को कहा जाता है, लेकिन वास्तविकता यही है कि यात्रियों की कमी के कारण इन दिनों दूरगामी बसों पर अधिक ओवरलोडिंग होने लगी है और इस कारण से दुर्घटनाएं हो रही हैं. इसके लिए अधिक से अधिक सतर्कता और साथ ही राज्य सरकार व प्रशासन को भी कड़ी नजर रखने की जरूरत है.
पल्लव मजूमदार, महासचिव, इंटर एंड इंट्रा रीजन बस एसोसिएशन, बंगाल

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