कोलकाता : जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य कार्यकारी परिषद के सदस्यों को कल रात 30 घंटे के घेराव के बाद जाने की इजाजत दे दी गई. मानविकी के छह विषयों में प्रवेश परीक्षा रद्द करने के कदम के विरोध में छात्र संघ के एक धड़े ने उनका घेराव किया हुआ था.
एएफएसयू की अध्यक्ष सोमाश्री चौधरी ने बताया , ‘‘ हमनें कल रात 11 बजकर करीब 45 मिनट पर कुलपति और कार्यकारी परिषद के अन्य सदस्यों को जाने की इजाजत दे दी लेकिन मुख्य प्रशासनिक इमारत अरबिंदो भवन के सामने हमारा धरना तब तक जारी रहेगा जब तक परिषद प्रवेश परीक्षा रद्द करने का अपना फैसला वापस नहीं ले लेती.
” चौधरी ने कहा कि मांगों पर दबाव बढ़ाने के लिए एएफएसयू और विश्वविद्यालय अन्य छात्र संगठनों ने कक्षाओं का बहिष्कार करने की अपील की है. उन्होंने कहा , ‘‘ हमें जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेयूटीए) के सदस्यों और गैर शिक्षण स्टाफ का समर्थन हासिल है. ” जेयूटीए के एक प्रवक्ता ने बताया कि कुलपति , कुलसचिव एवं प्रतिकुलपति समेत विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परिसर से चल गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक संघ आज विश्वविद्यालय में काम नहीं कर रहा है.
उसे परिषद के इस फैसले पर आपत्ति है कि बोर्ड परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर मानविकी के छह विषय में छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा. प्रवक्ता ने कहा कि हम इस कदम के विरोध में अरविंदो भवन के सामने तीन घंटे लंबे धरने में भी हिस्सा ले रहे हैं. यह कदम जादवपुर विश्वविद्यालय में कला संकाय में अकादमिक मानक को कम कर सकता है.
प्रो . सुरंजन दास और कार्यकारी समिति के सदस्यों का चार जुलाई शाम छह बजे से घेराव किया गया. इससे पहले परिषद ने ऐलान किया था कि अंग्रेजी , तुलनात्मक साहित्य , बांग्ला , इतिहास , राजनीति विज्ञान , दर्शन के स्नातकपूर्व पाठ्यक्रमों में छात्रों को मिले अंकों के आधार पर दाखिला दिया जाएगा. इसने प्रवेश परीक्षा कराने का अपना पिछले हफ्ते का फैसला पलट दिया है. कुलपति ने कल कहा था कि वह छात्रों के विरोध का कारण समझ नहीं पा रहे हैं.