बढ़ रहा है अपराध का ग्राफ : हर चौथा भारतीय होता है ऑनलाइन ठगी का शिकार
कोलकाता : भारतीय अब डिजिटल रूप से अधिक सक्रिय होते जो रहे हैं और देश में डिजिटल का प्रयोग करनेवाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. देश के महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी लोग अधिकांश लेन-देन अब ऑनलाइन के माध्यम से ही कर रहे हैं. डिजिटल प्रयोग बढ़ने के साथ ही उनके […]
कोलकाता : भारतीय अब डिजिटल रूप से अधिक सक्रिय होते जो रहे हैं और देश में डिजिटल का प्रयोग करनेवाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. देश के महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी लोग अधिकांश लेन-देन अब ऑनलाइन के माध्यम से ही कर रहे हैं. डिजिटल प्रयोग बढ़ने के साथ ही उनके साथ वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चार में से एक भारतीय ग्राहक ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बनता है. वैश्विक वित्तीय सूचना कंपनी एक्सपेरियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 प्रतिशत भारतीय ऑनलाइन लेन-देन में सीधे धोखाधड़ी का शिकार बने हैं. दूरसंचार क्षेत्र को सबसे अधिक 57 प्रतिशत ऑनलाइन धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है.
इसके बाद बैंक (54 प्रतिशत) और रिटेलर्स (46 प्रतिशत) का नंबर आता है. इसके अलावा भारतीय बैंकों के साथ डेटा साझा करने में अधिक संतोषजनक स्थिति महसूस करते हैं. 50 भारतीय बैंकों के साथ डेटा साझा करते हैं. वहीं ब्रांडेड रिटेलर्स के साथ 30 प्रतिशत ही डेटा साझा करते हैं.
औसतन डिजिटल लेनदेन करनेवाले 65 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल के जरिए भुगतान का विकल्प चुना है, क्योंकि उन्हें यह सुविधाजनक लगता है. भारत में सिर्फ छह प्रतिशत ग्राहक अपने साझा किये गये डेटा को लेकर सुरक्षा या सतर्कता बरतते हैं. जापान में यह आंकड़ा सबसे अधिक आठ प्रतिशत का है.
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि 51 प्रतिशत भारतीय विभिन्न सेवाओं के लिए अपने निजी डेटा को साझा करने में हिचकते नहीं हैं. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि इलेक्ट्रानिक्स और यात्रा मार्केटिंग कंपनियां उपभोक्ताओं के डेटा बनाती हैं और उनके जरिए लेनदेन बढ़ता है. लेकिन इन क्षेत्रों में ऑनलाइन धोखाधड़ी का जोखिम सबसे अधिक आॅस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम के उपभोक्ताओं पर आधारित है.