आयुर्वेद फैकल्टी के सदस्य बीएएमएस चिकित्सक

कोलकाता : किसी भी संस्थान के रीढ़ की हड्डी उनके फेकल्टी के सदस्य होते हैं. ऐसे दायित्वपूर्ण पद हेतु उच्च शौक्षिक योग्यता प्राप्त लोगों को नियुक्त किया जाता है. पर अफसोस वेस्ट बंगाल यूनिवसर्टी आॅफ हेल्थ साइंस के आयुर्वेद फेकल्टी के सदस्य बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) पास चिकित्सक है. जबकि निर्देशिका में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2018 2:26 AM
कोलकाता : किसी भी संस्थान के रीढ़ की हड्डी उनके फेकल्टी के सदस्य होते हैं. ऐसे दायित्वपूर्ण पद हेतु उच्च शौक्षिक योग्यता प्राप्त लोगों को नियुक्त किया जाता है. पर अफसोस वेस्ट बंगाल यूनिवसर्टी आॅफ हेल्थ साइंस के आयुर्वेद फेकल्टी के सदस्य बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) पास चिकित्सक है. जबकि निर्देशिका में यह स्पष्ट लिखा गया है कि एमडी, रिचर्स स्कॉलर व अन्य उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टर ही इसके सदस्य बन सकते हैं. लेकिन नियमों को दरकिनार करते हुए पिछले दो सालों से ऐसे चिकित्सक इसके सदस्य बने हुए हैं. जिनके पास ना तो एमडी की डिग्री है और ना ही जिन्होंने रिचर्स किया है.
गौरतलब है कि वेस्ट बंगाल यूर्निवसिटी अॉफ हेल्थ साइंसेस की एक्ट 2002 की धारा 12(7) के तहत इसके सदस्यों को तीन वर्ष को लिए चयनित किया जाता है. अंतिम बार साल 2016 को फेकल्टी के आठ सदस्यों को चुना गया, जिनमें से साल 1984 में बीएएमएस पास चिकित्सक डॉ कविता पांडा है. सूत्रों के अनुसार डॉ पांडा मेडिकल अॉफिसर (आयुर्वेद) के तौर पर कार्यरत रही है. पर फैकल्टी में वह बातौर आयुर्वेद विशेषज्ञ शामिल हुईं है. वहीं इस सदस्य मंडली में आयुर्वेद के प्रोफेसर डॉ पीबी कर महापात्र को इन्वाइटी मेंबर के रुप में रखा गया. जबकि निर्देशिका में ऐसा कोई पद ही नहीं.
चूंकि राज्य के सभी सरकारी व निजी आयुर्वेद कॉलेजों के आधारभूत ढांचे की देख-रेख तथा परीक्षाओं का आयोजन आयुर्वेद फेकल्टी करता है. ऐसे में बीएएमएस की डिग्री वाले डॉक्टर को विशेषज्ञ का दर्जा देकर शामिल करना, निर्देशिका की अनदेखी करके इन्वाइटी मेंबर सरीखे नये-नये पद ना सिर्फ फेकल्टी की विश्वसनीयता बल्कि उसके प्रशासनिक कार्यों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है?
फैकल्टी की विश्वसनीयता व प्रशासनिक कार्यों पर उठ रहे सवाल
मैं विभिन्न जिलों में मेडिकल अॉफिसर (आयुर्वेद) के तौर अपनी सेवा दे चुकी हूं. इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुझे सम्मान मिल चुका है. यह सही है कि मेरे पास सिर्फ बीएएमएस की डिग्री है. पर आयुर्वेद चिकित्सा में 30 साल का लंबा अनुभव है.
डॉ कविता पांडा, सदस्य, आयुर्वेद फेकल्टी
सदस्यता प्राप्त करने के लिए एमडी डिग्री का होना जरूरी है ,लेकिन अनुभव के आधार पर बीएएमएस चिकित्सक आयुर्वेद फेकल्टी के सदस्य बन सकते हैं.
डॉ निर्मल मांझी ,अध्यक्ष, पोग्रेसिब डॉक्टर्स एसोसिएशन

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