प्रदूषण की गिरफ्त में कोलकाता, बढ़ता प्रदूषण बना सबकी चिंता का सबब
कोलकाता : महानगर में बढ़ता प्रदूषण पर्यावरणविदों की चिंता का सबब बनता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता देश के महानगरों में दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर है. पहले स्थान पर अभी भी दिल्ली है. रिपोर्ट से पता चलता है कि कोलकाता में हवा, दिल्ली के मुकाबले अधिक तेजी से […]
कोलकाता : महानगर में बढ़ता प्रदूषण पर्यावरणविदों की चिंता का सबब बनता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता देश के महानगरों में दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर है. पहले स्थान पर अभी भी दिल्ली है. रिपोर्ट से पता चलता है कि कोलकाता में हवा, दिल्ली के मुकाबले अधिक तेजी से प्रदूषित हो रही है.
रिपोर्ट में 100 देशों के चार हजार शहरों की समीक्षा की गयी थी. फाइन पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम2.5 जिसे प्रदूषण मापने का पैमाना माना जाता है, वह कोलकाता में 2015 के 52 से बढ़कर 2016 में 74 हो गया है. पीएम2.5 से दिल का दौरा पड़ने अलावा दिल की अन्य बीमारियों का खतरा होता है.
हालांकि पर्यावरणविदों के मुताबिक महानगर में हवा में प्रदूषण रिपोर्ट से कहीं अधिक बदतर है. विशेषज्ञों के मुताबिक कोलकाता में सघन आबादी है. लिहाजा प्रदूषण का खतरा और बढ़ जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली की स्थिति में क्रमश: सुधार की गुंजाइश है लेकिन कोलकाता में ऐसा नहीं है. महानगर में गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, विशेषकर कार व ट्रक के डीजल की वजह से निकलने वाला धुंआ, प्रदूषण के लिए अधिक जिम्मेदार है.
गौरतलब है कि महानगर में करीब 20 लाख वाहन चलते हैं. इनमें से 50 फीसदी डीजल पर चलते हैं. वाणिज्यिक वाहनों में 95 फीसदी ही डीजल पर चलते हैं. वाणिज्यिक वाहनों की तादाद करीब दो लाख है. इनमें से अधिकांश पुराने हो चुके हैं और उनके रखरखाव का भी अभाव है.