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वेतन प्रथा लागू करने पर सस्पेंस बरकरार

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री शुभेंदू अधिकारी ने एक अगस्त से निजी बस मालिकों को बस चालकों व कंडक्टरों को स्थायी वेतन देने का परामर्श दिया था, लेकिन एक अगस्त से इस योजना के शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं.बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान परिवहन मंत्री ने बस […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री शुभेंदू अधिकारी ने एक अगस्त से निजी बस मालिकों को बस चालकों व कंडक्टरों को स्थायी वेतन देने का परामर्श दिया था, लेकिन एक अगस्त से इस योजना के शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं.बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान परिवहन मंत्री ने बस मालिकों को गाइडलाइन बना कर देने का वादा किया था. चालक व कंडक्टर को किस प्रकार वेतन दिया जायेगा और उनका वेतन कितना होगा.
बस मालिकों की आमदनी की समीक्षा की जायेगी. लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ है. इसलिए तय तारीख से योजना लागू कर पाना संभव नहीं दिख रहा है. साथ ही परिवहन विभाग ने जागरूकता फैलाने की भी बात कही थी.
उल्लेखनीय है कि महानगर में प्राय: दो बसों में आगे निकलने की होड़ में सड़क दुर्घटना की घटनाएं सामने आ रही हैं. किराया बढ़ने के बाद भी बसों की होड़ कम नहीं हुई है. इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य के परिवहन मंत्री शुभेंदू अधिकारी ने बस मालिक संगठनों के साथ बैठक कर बस चालकों व कंडक्टरों को स्थायी वेतन देने का प्रस्ताव दिया था. पहले चालकों को कुल बिक्री हुए टिकट का 12 प्रतिशत व कंडक्टर को छह प्रतिशत कमीशन दिया जाता था.
इस संबंध में ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी का कहना है कि कमीशन प्रथा हटाने से काफी समस्या होगी, क्योंकि बसों का किराया जितना है और हमारी जितनी आमदनी होती है, उतने में चालक व कंडक्टर को पर्याप्त मात्रा में स्थायी वेतन देना संभव नहीं है. उन्होंने दुर्घटनाओं को कम करने के लिए और वैकल्पिक रास्ते निकालने का प्रस्ताव दिया.

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