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पीएम मोदी के कायल हुए लोग, सभा में शामियाना गिरने के बाद, नाजुक मौकों पर लिया सटीक निर्णय

कैलाश विजयवर्गीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोगों के प्रति संवेदनशीलता की झलक देश ने पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की रैली के दौरान पंडाल गिरने से घायलों को अस्पताल जाकर उनको देखने और हौसला बंधाने पर देखी. पश्चिम मेदिनीपुर जिले के ऐतिहासिक शहर मेदिनीपुर में 16 जुलाई को आयोजित भाजपा की विशाल रैली कई […]

कैलाश विजयवर्गीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोगों के प्रति संवेदनशीलता की झलक देश ने पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की रैली के दौरान पंडाल गिरने से घायलों को अस्पताल जाकर उनको देखने और हौसला बंधाने पर देखी. पश्चिम मेदिनीपुर जिले के ऐतिहासिक शहर मेदिनीपुर में 16 जुलाई को आयोजित भाजपा की विशाल रैली कई मायनों में खास रही.
प्रधानमंत्री ने जिस तरह से रैली में पंडाल गिरने से घायल हुए लोगों को लेकर संवेदनशीलता दिखायी, उसे लेकर लोग कायल हुए हैं. यह पहला अवसर नहीं है, ऐसे कई घटनाओं को हम लोग पहले भी कई बार देख चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं को अपनी नीतियों और योजनाओं में प्राथमिकता दिया है. रैली में घायलों के इलाज और उनकी देखरेख की व्यवस्था पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष को सौंपकर ही प्रधानमंत्री घटनास्थल से रवाना हुए.
इतना होने के बाद भी प्रधानमंत्री लगातार घायलों की जानकारी ले रहे. यह सब विभिन्न मीडिया के माध्यम से जन-जन तक पहुंच रही है और लोग प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता को महसूस भी कर रहे हैं. दुर्घटना के समय हम सब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाजुक मौके पर सूझबूझ, धैर्य, कर्तव्य परायणता और तुरंत फैसले की क्षमता को नजदीक से देखा.
प्रधानमंत्री मोदी की छवि हमेशा सही निर्णय लेने की रही है. संकट के समय सही फैसले लेकर वह हमेशा बाजी पलट देते हैं. राजनीतिक हमलों को लेकर सटीक जवाब देनेवाले प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सभा में पंडाल गिरने के दौरान और बाद में जिस तरह से सूझ-बूझ से निर्णय लिया और सुरक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये, उससे एक बड़ा हादसा टल गया और कई लोगों की जानें बच गयीं.
पंडाल गिरने और लोगों के घायल होने के बावजूद प्रधानमंत्री ने अपनी दूरदर्शिता के कारण किसी भी तरह की भगदड़ होने या अफरा-तफरी का माहौल नहीं बनने दिया. हम लोगों को भी नाजुक मौके पर उनकी सूझ-बूझ, धैर्य और दृढ़ता के साथ काम करने की सीख मिली है.
हमें यह पता है कि प्रधानमंत्री मोदी के शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं है. किसी कार्य योजना में प्रधानमंत्री ना की बजाय संभावनाओं पर विचार करते हैं.
हमने यह भी देखा है कि मोदीजी रैली में अति उत्साही लोगों को खंभों पर चढ़ने से भी रोक रहे थे. याद कीजिये पटना की 27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान में भारतीय जनता पाटी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ‘हुंकार रैली’ को.
रैली के पहले गांधी मैदान में और पटना जंक्शन पर दो बम धमाके हुए. इन धमाकों में आधा दर्जन लोग मारे गये थे और 83 घायल हुए थे. उस समय गांधी मैदान खचाखच भरा था. रैली स्थल पर धमाके होने लगे.
मोदीजी धैर्य के साथ भाषण देते रहे. कोई भगदड़ नहीं हुई. अगर भगदड़ होती, तो कई जानें जा सकती थीं. लोगों ने यह भी देखा कि मेदिनीपुर में कृषक कल्याण सभा को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान मंच के बायीं ओर मुख्य प्रवेश द्वार के बगल में लगाया गया पंडाल अचानक गिर गया.
उस समय सभा में ढाई लाख से ज्यादा लोग मौजूद थे. जो पंडाल गिरा वहां पर 20 हजार से ज्यादा लोग बैठे थे. इनमें महिलाओं की तादाद भी बहुत ज्यादा थी. पंडाल गिरने से 24 महिलाएं घायल हुई हैं.
सभा के दौरान रिमझिम बारिश के बीच प्रधानमंत्री मोदी मंच पर पहुंचे, दोपहर 12.30 बजे प्रधानमंत्री मंच पर पहुंचे उस समय सभा स्थल काॅलेजिएट मैदान खचाखच भर गया था. लोग उत्सुकता से प्रधानमंत्री को सुनने का इंतजार कर रहे थे. रैली के लिए पंडाल बनाये गये थे. तीनों पंडालों के खचाखच भरने और भारी संख्या में लोगों के मैदान के बाहर जमा होने के कारण हम सब बहुत प्रसन्न थे.
भाजपा की तरफ से इतनी विशाल रैली अभी तक पश्चिम बंगाल में नहीं हुई थी. प्रधानमंत्री मोदी जब भाषण दे रहे थे तब उन्होंने पंडाल गिरने की आशंका समझ लिया था. लेकिन पंडाल गिरते हुए देखकर उन्होंने यह आभास नहीं होने दिया कि एक बड़ी दुर्घटना हो गयी है.
प्रधानमंत्री ने भाषण जारी रखते हुए लोगों से कहा भी कि कोई खास बात नहीं है. अपने भाषण के दौरान ही अपने सुरक्षा अधिकारियों और प्रशासन के पास संदेश भी पहुंचा दिया.
लोगों ने देखा कि उनके प्रधानमंत्री ने कुछ सेकेंड के लिए एक सुरक्षा अधिकारी के कान में कुछ फुसफुसाया और फिर भाषण देने लगे. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घायलों को निकालने का काम बिना शोर-शराबे के शुरू कर दिया.
प्रधानमंत्री के निर्देश पर उनके साथ चलने वाले स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी घायलों का इलाज तुरंत शुरू कर दिया. प्रधानमंत्री भाषण देते रहे और उन्हें घायलों की हर खबर लगातार अधिकारियों से लेते और निर्देश देते रहे. भाषण के दौरान प्रधानमंत्री परिस्थिति पर नजर गड़ाये हुए थे. प्रधानमंत्री ने एक पंडाल में जमा हुए 20 हजार लोगों के अलावा दो अन्य पंडालों में बैठे 2.30 लाख लोगों को इस दुर्घटना का आभास तक नहीं होने दिया.
मंच पर बैठे लोगों को धुकधुकी लगी हुई थी कि कहीं भगदड़ न हो जाये, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. अगर भगदड़ मचती तो एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. 55 मिनट बाद प्रधानमंत्री का भाषण समाप्त हुआ. इसके बाद मंच से उतर कर प्रधानमंत्री प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष को साथ लेकर अस्पताल पहुंच गये. बिना सुरक्षा इंतजामों के भी प्रधानमंत्री के अस्पताल पहुंचने पर लोग हैरान हो गये.
उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनके प्रधानमंत्री उनका हालचाल पूछने अस्पताल पहुंच गये. प्रधानमंत्री ने अपनी इन्हीं खूबियों के कारण किसी तरह का अफरातफरी का माहौल ही नहीं बनने दिया. प्रधानमंत्री ने घायलों से उनका हाल जाना, उन्हें हिम्मत बंधाई और आटोग्राफ दिये.
प्रधानमंत्री ने वाकई जनता का दिल जीत लिया. इसका एक दुखद पहलू यह भी है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस इस दौरान कहीं भी नहीं दिखायी दी. पश्चिम बंगाल सरकार कोई सबक लेने के बजाय इस मुद्दे पर राजनीति करने पर आमादा है.
(भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं. घटना के समय वह भी मंच पर मौजूद थे. उन्होंने अपना अनुभव लोगों से साझा किया है. उनका यह अनुभव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घायलों को देखने अस्पताल पहुंचने के बाद आया.)

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