कक्षा पांच से आठ तक पास-फेल प्रथा शुरू करने का सुझाव

कोलकाता : विशेषज्ञ समिति ने राज्य के स्कूलों में कक्षा पांच से आठ तक पास-फेल प्रथा शुरू करने की सिफारिश की है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीन विषयों में फेल होने पर विद्यार्थी को अनुत्तीर्ण माना जायेगा.गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2018 3:55 AM
कोलकाता : विशेषज्ञ समिति ने राज्य के स्कूलों में कक्षा पांच से आठ तक पास-फेल प्रथा शुरू करने की सिफारिश की है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीन विषयों में फेल होने पर विद्यार्थी को अनुत्तीर्ण माना जायेगा.गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार एक बार फिर स्कूलों में पास-फेल प्रथा शुरू करने के लिए तैयार है.
इस संबंध में सुझाव देने के लिए राज्य सरकार ने राज्य बीएड विश्वविद्यालय की कुलपति सोमा बंद्योपाध्याय के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में कमेटी ने चार श्रेणी अर्थात् कक्षा पांच से आठ तक पास-फेल प्रथा को फिर से शुरू करने की सिफारिश की है. 34 पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने एक साल में तीन परीक्षा लेने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही रिपोर्ट में शिक्षकों की भूमिका को लेकर कई प्रस्ताव दिये गये हैं.
केंद्र सरकार ने अपने प्रस्ताव में अनुत्तीर्ण छात्रों को तीन महीने का मौका देने की बात कही थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी कमेटी ने इसे मानने से इनकार कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई भी छात्र फेल होता है तो शिक्षकों को इसकी जिम्मेवारी लेनी होगी. इसके साथ ही सरकारी स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं के प्राइवेट ट्यूशन को भी कम करने की सिफारिश की गयी है. गौरतलब है कि इस रिपोर्ट की समीक्षा कर स्कूल शिक्षा विभाग इसे मुख्यमंत्री के समक्ष पेश करेगी. मुख्यमंत्री की अनुमति मिलने के बाद ही इसे लागू किया जायेगा.
यूपीए-2 के कार्यकाल में लागू हुआ था िनयम
गौरतलब है कि यूपीए दो की सरकार ने देश से पास-फेल की प्रथा को खत्म करने का फैसला लिया था. यूपीए दो के शिक्षा का अधिकार के कानून 2009 के अनुसार आठवीं तक किसी विद्यार्थी को फेल नहीं किया जा सकता है. पूरे देश में यह नियम लागू है. तब से बंगाल में भी कक्षा एक से आठ तक पास-फेल प्रथा को बंद कर दिया गया है.

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