विधानसभा में लोकायुक्त विधेयक पारित, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को गौ-दान करेंगी मुख्यमंत्री

राज्यपाल की मंजूरी मिलने के 90 दिनों के अंदर नियुक्त होंगे लोकायुक्त : मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच करने विधानसभा के दो तिहाई मत की जरूरत होगी कोलकाता : मुख्यमंत्री को जांच के दायरे से बाहर रख कर पश्चिम बंगाल विधानसभा में पश्चिम बंगाल लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2018 गुरुवार को पारित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2018 9:19 AM
राज्यपाल की मंजूरी मिलने के 90 दिनों के अंदर नियुक्त होंगे लोकायुक्त : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच करने विधानसभा के दो तिहाई मत की जरूरत होगी
कोलकाता : मुख्यमंत्री को जांच के दायरे से बाहर रख कर पश्चिम बंगाल विधानसभा में पश्चिम बंगाल लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2018 गुरुवार को पारित हो गया. आम जनता के हित (पब्लिक आर्डर) के मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच लोकायुक्त नहीं कर पायेगा. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को विधानसभा में संशोधन विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि मूलत: पब्लिक आर्डर में पुलिस व पुलिस आधुनिकीकरण, सीमा सहित अन्य 57 विषय इसमें रहेंगे.
विधेयक में उल्लेखित प्रावधानों के अतिरिक्त विधानसभा के सत्तारूढ दल के उप मुख्य सचेतक तापस राय के संशोधन को विधानसभा ने मंजूरी दे दी. इस संशोधन के अनुसार पब्लिक आर्डर के बाहर यदि कोई भ्रष्टाचार का आरोप मुख्यमंत्री पर लगता है, तो इसकी जांच करने पहले विधानसभा के दो तिहाई बहुमत के समर्थन की जरूरत होगी. विधानसभा के दो तिहाई समर्थन के बिना मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच नहीं की जा सकेगी.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री इस विधेयक के माध्यम से लोकायुक्त के जांच के दायरे से पूरी तरह से बाहर हो गयीं. हालांकि सत्तारूढ़ दल का कहना है कि किसी मंत्री या अधिकारी के खिलाफ बिना कारण ही भ्रष्टाचार का अारोप लगा कर उसे परेशान किया जाये. इस कारण ही यह संशोधन युक्त किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल द्वारा इस विधेयक को मंजूरी देने के बाद 90 दिन के अंदर राज्य लोकायुक्त की नियुक्ति होगी. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पायी है. सुश्री बनर्जी ने कहा कि मेरी विश्वासनीयता जनता के प्रति है. दो चार नेता जिनमें कई छिद्र हैं. वे क्या बोल रहे हैं.
इससे कुछ आता-जाता नहीं है. जनता के समक्ष जिस दिन विश्वासयोग्यता नहीं रहेगी, तब वह राजनीति में नहीं रहेंगी. उन्होंनेे कहा कि इस ‍ विधेयक को लेकर गलत बातें फैलायी जा रही हैं. फेक न्यूज और फेक व्यूज चल रहे हैं, हालांकि विरोधी दल के नेताओं ने मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखने के निर्णय की आलोचना की.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को गौ-दान करेंगी मुख्यमंत्री
मछली उत्पादन को लेकर दिलीप घोष ने उठाया था सवाल
कोलकाता. विधानसभा में गुरुवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य में मछली उत्पादन को लेकर सवाल उठाते कहा कि जहां एक ओर से पिछले सात वर्षों में आंध्र प्रदेश में मछली उत्पादन में 133 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं, बंगाल में मछली उत्पादन में वृद्धि की मात्रा काफी कम है. हालांकि, इस प्रश्न का जवाब राज्य के मत्स्य पालन विभाग के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा को देना था, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं इसका जवाब देने लगीं. उन्होंने मछली उत्पादन के बारे में प्रश्न का जवाब देते प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को गौ-दान करने की बात कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल को पहले जानें, फिर उसके बाद कुछ बोलेंगे तो अच्छा होगा. आंध्र प्रदेश में भले ही मछली का उत्पादन होता है, लेकिन वहां के लोग मछली कम खाते हैं. इसलिए सिर्फ वहां से मछलियां अन्य राज्यों व देशों में निर्यात की जाती है, लेकिन बंगाल का प्रमुख भोजन ही मछली-भात है. यहां जितनी मछलियों का उत्पादन होता है, बंगाल की खपत उससे अधिक है, इसलिए अन्य राज्यों से भी यहां मछली मंगायी जाती है.
वहीं, मुख्यमंत्री ने प्रदेश भाजपा से कहा कि आप लोग तो मछली-मांस नहीं खाते हैं और प्रधानमंत्री तो उगांडा में जाकर गाय उपहार में दे रहे हैं. अब तो हम लोगों को भी गाय दान करना होगा. शादी में भी गाै-दान करना होगा. सोच रही हूं कि सबसे पहले आपको ही एक गाय दान करूं. मुख्यमंत्री के इस बयान से पूरे विधानसभा में हंसी की आवाज गूंज उठी.
मुख्यमंत्री के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, मुख्यमंत्री मुझे गौ-दान करेंगी. यह तो बहुत अच्छी बात है, इससे मुख्यमंत्री भी कुछ पुण्य कमा लेंगी.
आदिवासी जमीन का नहीं होगा हस्तांतरण : मुख्यमंत्री
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि बंगाल में अब आदिवासियों की जमीन का हस्तांतरण नहीं किया सकेगा. इस संबंध में राज्य सरकार ने नया कानून तैयार किया है और इसे लेकर राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की पहल का नतीजा है कि आज जंगलमहल क्षेत्र में माओवाद की समस्या खत्म हो गयी है. पश्चिम बंगाल सरकार आदिवासियों को स्वनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं, जिनका उन्हें सकारात्मक फायदा भी मिल रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले एससी व एसटी प्रमाण-पत्र बनने में वर्षों लग जाते थे, वर्तमान सरकार के कार्यकाल में मात्र चार सप्ताह के अंदर जाति प्रमाण पत्र प्रदान किया जा रहा है.

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