बांग्ला भाषी और बिहारियों को असम से खदेड़ रही केंद्र सरकार : ममता

कोलकाता : असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किये जाने के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि असम के 40 लाख ‘भारतीय नागरिक’ अपनी ही जमीन पर ‘शरणार्थी’ हो गये हैं. यह बांग्ला भाषी व बिहारियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2018 3:12 AM
कोलकाता : असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किये जाने के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि असम के 40 लाख ‘भारतीय नागरिक’ अपनी ही जमीन पर ‘शरणार्थी’ हो गये हैं. यह बांग्ला भाषी व बिहारियों को असम से बाहर भेजने का गेम प्लान है.
उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार ने जिन 40 लाख लोगों का नाम नागरिकता की सूची से काटा है, उन लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार के पास कोई योजना है या नहीं? ममता ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार ‘वोट बैंक की राजनीति’ कर रही है. सोमवार को दिल्ली रवाना होने से पहले राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह आज दिल्ली जा रही हैं और आज सुबह जैसे ही उन्हें यह खबर मिली, तब से ही वह दुखी हैं.
इसलिए दिल्ली जाने से पहले आपातकालीन परिस्थिति में उनको यह संवाददाता सम्मेलन बुलाना पड़ा. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से समय मांगेंगी. इस प्रकार से दशकों से रह रहे लोगों को बेघर नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस सांसदों की एक टीम असम भेज रही हैं, जो वहां के हालात का जायजा लेगी.
सांसद वहां के लोगों से बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह भी असम जायेंगी. यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम बंगाल सरकार उन लोगों को आश्रय देगी, जिनके नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके अपने घर हैं. वे असम के निवासी हैं. यदि वे आना चाहेंगे तो हम इस बारे में सोचेंगे.
बंगाल पर पड़ेगा असर
सीएम ने कहा : असम, पश्चिम बंगाल से बिल्कुल सटा हुआ है, इसलिए इसका प्रभाव बंगाल पर भी देखने को मिलेगा. हालांकि उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर उन्हें निकाला ही क्यों जा रहा है. वे भारतीय हैं, लेकिन आज वे अपने ही देश में शरणार्थी बन गए हैं. ममता ने यह दावा भी किया कि कुछ ऐसे लोगों के भी नाम अंतिम मसौदे से हटा दिये गये हैं, जिनके पास पासपोर्ट, आधार और वोटर कार्ड हैं. सभी दस्तावेज होने के बावजूद लोगों का नाम काटा गया है. केंद्र सरकार पर 40 लाख लोगों को जबरन निकालने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि यह गंभीर चिंता की बात है. इंटरनेट सेवाएं खत्म कर दी गयी हैं. हम असम में लोगों से संपर्क नहीं कर पा रहे.

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