चाय बागान पर्यटन पर कलकत्ता हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी

कोलकाता : चाय बागान में पर्यटन की अनुमति के बाद भी उसे खारिज कर दिया गया. इससे संबंधी मामले में राज्य सरकार की कलकत्ता हाइकोर्ट ने आलोचना की है. न्यायाधीश विश्वनाथ समाद्दार की अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाइकोर्ट के न्यायाधीश क्या राज्य सरकार के हाथों के पुतले हैं? नौकरशाह राज्य को कैसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2018 5:45 AM
कोलकाता : चाय बागान में पर्यटन की अनुमति के बाद भी उसे खारिज कर दिया गया. इससे संबंधी मामले में राज्य सरकार की कलकत्ता हाइकोर्ट ने आलोचना की है. न्यायाधीश विश्वनाथ समाद्दार की अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाइकोर्ट के न्यायाधीश क्या राज्य सरकार के हाथों के पुतले हैं? नौकरशाह राज्य को कैसे चला रहे हैं? शुक्रवार को कुछ इसी तरह से हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की आलोचना की.
राज्य के संबंध में न्यायाधीश का यह भी सवाल था कि वर्ष 2016 में मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिये गये निर्देश को अभी तक लागू क्यों नहीं किया गया? अगले सोमवार को मामले की अगली सुनवाई में राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त यदि संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं तो मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव को अदालत में आने का निर्देश न्यायाधीश ने दिया है.
उल्लेखनीय है कि 2007 में कांचन व्यू टी को राज्य सरकार के पर्यटन विभाग व तत्कालीन डीएम से चाय बागान पर्यटन की अनुमति मिली थी, लेकिन जीटीए के गठन के बाद उक्त अनुमति को रद्द कर दिया गया. 2014 में कांचन व्यू टी इस्टेट अदालत पहुंचा. न्यायाधीश अनिरुद्ध बसु ने जीटीए को छह हफ्ते के भीतर आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद राज्य सरकार ने हाइकोर्ट की खंडपीठ में जाने का फैसला लिया था. 339 दिन के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट में राज्य सरकार ने याचिका दायर की. इतना विलंब होने के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारी को हलफनामा देने का निर्देश मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने दिया था. वर्तमान में वह मामला न्यायाधीश विश्वनाथ समाद्दार की खंडपीठ के तहत विचाराधीन है.
शुक्रवार को उक्त निर्देश को वापस लिए जाने की याचिका लेकर न्यायाधीश के पास राज्य के एडवोकेट जनरल पहुंचे थे. लेकिन अदालत ने एडवोकेट जनरल को स्पष्ट निर्देश दिया कि सोमवार को राज्य के वक्तव्य से यदि अदालत संतुष्ट नहीं होती है तो मंगलवार को मुख्य सचिव को अदालत में आना होगा.

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