ममता ने पूछा : अमित शाह के माता-पिता के पास जन्म प्रमाण पत्र हैं?

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला जारी रखते हुए मंगलवार को पूछा कि जो लोग एनआरसी लागू करने की बात कर रहे हैं, उनको अपने पूर्वजों की जन्म तारीख याद है न. मुख्यमंत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से सवाल पूछा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 15, 2018 4:32 AM
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला जारी रखते हुए मंगलवार को पूछा कि जो लोग एनआरसी लागू करने की बात कर रहे हैं, उनको अपने पूर्वजों की जन्म तारीख याद है न. मुख्यमंत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से सवाल पूछा कि क्या उन्हें अपने मां-पिता की जन्म तारीख का पता है.
क्या उनका (माता-पिता) जन्म प्रमाण पत्र उनके पास है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई मुझसे मेरे माता-पिता का जन्म प्रमाण मांगे तो वह नहीं दे पायेंगी, क्योंकि उनका जन्म गांव में हुआ था और उन लोगों ने जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनाया था. गौरतलब है कि अमित शाह ने पिछले दिनों महानगर में आयोजित सभा के दौरान ममता बनर्जी पर एनआरसी व केंद्र सरकार द्वारा दिये गये फंड के संबंध में जवाब मांगा था.
एनआरसी में 25 लाख हिंदुओं का नाम नहीं
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि असम में एनआरसी के नाम पर जिन 40 लाख लोगों का नाम काटा गया है, उनमें 25 लाख हिंदू बंगाली हैं, जबकि 13 लाख मुसलिम बंगाली हैं. वहीं, बाकी दो लाख में बिहारी, पंजाबी व अन्य भाषा के लोग हैं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह आंदाेलन हिंदू बनाम मुसलिम का नहीं, बल्कि नागरिकता का है.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को असम के बंगाली यूनाइटेड फोरम के प्रतिनिधियों ने उनसे मुलाकात की और बताया कि एनआरसी में ऐसे लोगों का नाम भी काटा गया है, जो 24 मार्च 1971 से पहले यहां आये थे. 1971 से पहले की मतदाता सूची में जिनका नाम था, उनका नाम भी एनआरसी में नहीं है. तो क्या जो 1965 में बंगाल आये हैं, वह भी घुसपैठिया हैं.
एनआरसी का विरोध करने वालों को हिरासत शिविर में रखा जा रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में जो भी एनआरसी का विरोध कर रहे हैं, उन्हें असम के हिरासत शिविरों में भेजा जा रहा है और प्रताड़ित किया जा रहा है. लोगों को अपनी बात तक रखने का मौका नहीं दिया जा रहा.
अब तक 1200 लोगों को हिरासत शिविर में रखा गया है, इसमें कुछ बंगाल के मुर्शिदाबाद के लोग भी हैं, जो वहां कपड़ा बेचने के लिए गये थे. वोट बैंक के आरोपों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कोई वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहीं. उनके आंदोलन का प्रमुख लक्ष्य है लोगों के अधिकार की रक्षा करना.स्वाधीन भारत में नागरिकता का अधिकार, जो हमसे कोई नहीं छीन सकता.

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