देश में शुरू हो गयीं गणेश महोत्सव की तैयारियां, 13 सितंबर से होगी विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा

कोलकाता/रांची : देश में गणेश महोत्सव का आयोजन आगामी 13 सितंबर को होगा. इसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं. गणेश महोत्सव को लेकर कलाकारों द्वारा प्रतिमाओं की निर्माण प्रक्रिया शुरू हो गयी. खासकर कोलकाता और मुंबई में इसकी तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गयी हैं. हालांकि, यह महोत्सव पूरे देश में धूमधाम से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2018 7:44 PM

कोलकाता/रांची : देश में गणेश महोत्सव का आयोजन आगामी 13 सितंबर को होगा. इसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं. गणेश महोत्सव को लेकर कलाकारों द्वारा प्रतिमाओं की निर्माण प्रक्रिया शुरू हो गयी. खासकर कोलकाता और मुंबई में इसकी तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गयी हैं. हालांकि, यह महोत्सव पूरे देश में धूमधाम से आयोजित किया जाता है.

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आम तौर पर भाद्रपद माह या भादो की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होने वाला गणेश महोत्सव अनंत चतुर्थी तक चलता है. गणेशोत्सव सारे विश्व में बड़े ही हर्षोल्लास एवं आस्था के साथ मनाया जाता है. घर-घर में विघ्नहर्ता भगवान गणेशजी की पूजा होती है. लोग मोहल्लों, चौराहों, मंदिरों एवं घरों पर गणेशजी की स्थापना, आरती, पूजा करते हैं. अनंत चतुर्दशी के दिन गणेशजी की मूर्ति को विधि विधान के साथ विसर्जित करके उनसे अगले साल दोबारा आने की प्रार्थना की जाती है.

इस साल आगामी 13 सितंबर से 23 सितंबर 2018 तक चलने वाले इस महोत्सव की धूम चारों ओर देखी जा सकती है. पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणेश की भव्य प्रतिमाओं को स्थापित करके पूजा पाठ शुरू हो जाता है. गणेश प्रतिमा स्थापित कर 10 दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ होता है. भव्य पंडालों में स्थापित गणेश प्रतिमा के सामने दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है. 10 दिनों तक भजन व आरती का क्रम जारी रहता है.

परंपरागत रूप से होती है प्रतिमा की स्थापना

भगवान श्री गणेश जी का गणेशोत्सव प्रारंभ होते ही दस दिनों तक गणपति जी की महिमा का गुणगान घर-घर होने लगता है. शहर के कई प्रमुख स्थलों में पर परंपरागत रूप से भगवान की प्रतिष्ठापना की जाती है. हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व भगवान श्री गणेश जी का आवाहन ही किया जाता है. इसके बाद अन्य धार्मिक कार्यक्रम आरंभ होते हैं.

भक्तों के दुखों को दूर करते हैं आदिदेव

गणपति आदिदेव हैं. वे अपने भक्तों के समस्त संकटों को दूर करके उन्हें मुक्त करते हैं. गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणपति कहा जाता है. प्रथम पूज्य देव रूप में यह अपने भक्तों के पालनहार हैं. इनके बारह नाम क्रमश: एकदंत, सुमुख, लंबोदर, विनायक, कपिल, गजकर्णक, विकट, विघ्नहर्ता, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन तथा गणेश का स्मरण सुख एवं शांति प्रदान करने वाला होता है.

ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं श्री गणेश

श्री गणेश जी भगवान ऋद्धि-सिद्धि के दाता, विघ्न विनाशक और इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं, कोई कार्य पूर्ण नहीं हो रहे हो वह भादो की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विधि विधान से पूजन करें तो उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं. दूर्वा के बिना भगवान श्री गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है . गणपति पर तुलसी नहीं चढ़ायी जाती है. शुभ मुहूर्त में श्रीगणेश स्थापना विधिवत संकल्प लेकर करनी चाहिए. पंचोपचार अथवा षोषणोपचार पूजन के साथ भगवान का विग्रह में आहवन करते हैं.

सिंदूर अर्पित करने से भगवान गणेश होते हैं प्रसन्न

भगवान श्री गणेश की गंगा जल, पान, फूल, दूर्वा आदि से की जाती है. भगवान गणेश पर सिंदूर चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं. भगवान को लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए. इसके साथ ही, श्रीगणेश स्त्रोत, श्रीगणेश मंत्र जाप आदि का पाठ करना चाहिए. नारद पुराण के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पार्थिव गणेश की स्थापना को बताया गया है.

महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से आयोजित होता है गणोत्सव

आम तौर पर तो गणेश चतुर्थी पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इस त्योहार का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है. लोग पुष्प वर्षा कर स्वागत करते हैं. ढोल, नगाड़े, बैंड बाजों के साथ निकली शोभायात्रा को देखने के लिए लोग हजारों की भीड़ में देखे जा सकते हैं. भगवान गणेश की भव्य मूर्तियां हर किसी को आकर्षित करती हैं. पंडित वैदिक अनुष्ठान और हवन आदि कर भगवान गणेश को महोत्सव में आमंत्रित करते हैं. करीब 11 दिन तक चलने वाले महोत्सव में कई धार्मिक कार्यक्रम होते ही रहते हैं.

महाराष्ट्र में गणेश लीला और प्रवचन का होता है आयोजन

इस दौरान भगवान गणेश की विशेष पूजा के साथ साथ कथा वाचन एवं लीला मंचन भी होता है. पूरे महाराष्ट्र में इन दिनों भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ता है. गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से पूरा वातावरण गूंजने लगता है. सभी भक्त महोत्सव में शामिल होकर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मुंबई की गलियां गणेश पंडालों से पट जाती हैं. मुंबई के लालबाग के राजा, सिद्धि विनायक इत्यादि प्रमुख हैं मुंबई में स्थापित होने वाली गणेश प्रतिमाओं में सबसे ज्यादा आकर्षण लालबाग के राजा नाम से स्थापित गणेश प्रतिमा का रहता है.

विदेशों में भी होती है भगवान गणेश की पूजा

श्री भगवान गणेश के प्रति भक्तों की आस्था विदेशों में भी कम नहीं है. ब्रिटेन में अप्रवासी भारतीय इस त्यौहार को पूरे रीतिरिवाज के साथ मनाते हैं. इसके अलावा अमरीका में भी गणेश चतुर्थी का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है. वहीं मारीशस में भी गणपति उत्सव बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन मारीशस में अवकाश भी रहता है.

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