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बांग्ला विभाग के 120 छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं हुईं गायब

कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) से बांग्ला विभाग की स्नातकोत्तर परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं गायब होने की खबर से हड़कंप मच गया है.

लापरवाही. कलकत्ता विश्वविद्यालय की घटना से मचा हड़कंप

कुलपति ने कहा- इसमें सीयू की गलती नहीं, कॉलेज जिम्मेदार

संवाददाता, कोलकाताकोलकाता. कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) से बांग्ला विभाग की स्नातकोत्तर परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं गायब होने की खबर से हड़कंप मच गया है. सूत्रों के मुताबिक, करीब 120 विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं नहीं मिल रही हैं. इससे इनका भविष्य अधर में लटक गया है. इसे लेकर शुक्रवार को कैंपस में तनाव की स्थिति बनी रही. इस संबंध में विश्वविद्यालय की अंतरिम कुलपति शांता दत्ता ने कहा कि सीयू से कोई उत्तरपुस्तिका नहीं गुम हुई है. इस घटना के लिए कॉलेज के अधिकारी जिम्मेदार हैं. कॉलेजों को इसका पूरा हिसाब देना होगा. सीयू में 86 विभाग हैं. ऐसी कोई बात कभी नहीं हुई. कॉलेजों के गेस्ट लेक्चरर स्नातकोत्तर शिक्षकों की तरह कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं. इस कारण ही यह घटना हुई. वीसी ने कहा कि आंसर शीट एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज भेजी जाती है. वहां से कैसे खो गयी, इसमें शिक्षकों की लापरवाही दिख रही है. शिक्षकों ने जो किया है, वह दंडनीय अपराध है. शिक्षकों के मूलरूप से तीन काम होते हैं – पढ़ाना, परीक्षा आयोजित करना और आंसर शीट देखकर अंक जमा करना. विश्वविद्यालय की ओर से संबंधित कॉलेज के प्राचार्य को एक कमेटी बनाकर मामले की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जायेगा. दोषियों को दंड मिलेगा. एक कॉलेज परीक्षक पहले ही स्वीकार कर चुका है कि उसके पास आयी आंसर शीट खो गयी है. दूसरे कॉलेज के परीक्षक और पीजी को-ऑर्डिनेटर सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि कुल 19 कॉलेजों में बांग्ला स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है. परीक्षा विगत अप्रैल में हुई थी. जिन विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं गायब हैं, उनमें से अधिकतर दक्षिण 24 परगना कॉलेज के छात्र हैं. इसमें कोलकाता के दो कॉलेजों के स्टूडेंट्स भी हैं. सभी प्रथम वर्ष के विद्यार्थी हैं. सीयू सूत्रों के अनुसार, सिंडिकेट की बैठक में उत्तर पुस्तिका गायब होने के मुद्दे पर चर्चा हुई. यह निर्णय लिया गया है कि जिनकी उत्तर पुस्तिकाएं खो गयी हैं, उन्हें दो विकल्प दिये जायेंगे. पहला- छात्र चाहें तो दोबारा परीक्षा में बैठ सकते हैं और दूसरा- अगर वे इसके लिए राजी नहीं हैं, तो पहले सेमेस्टर में सबसे अधिक अंक वाले विषय को छूटे हुए पेपर के अंकों के रूप में गिना जायेगा. हालांकि, इस फैसले को कुलपति की मंजूरी नहीं मिली है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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