कोलकाता : पूर्वी भारत में गौशालाओं की स्थिति दयनीय

कोलकाता : भारत में गाय को मां का दर्जा मिला है, लेकिन गौ-माता को जहां रखा जाता है, अर्थात् गौशालाओं की स्थिति काफी खस्ता है. फंड व बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण गौशालाओं का समुचित विकास नहीं हो पाया है. ऐसी ही रिपोर्ट फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (एफआइएपीओ) की ओर से प्रकाशित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2018 9:33 AM
कोलकाता : भारत में गाय को मां का दर्जा मिला है, लेकिन गौ-माता को जहां रखा जाता है, अर्थात् गौशालाओं की स्थिति काफी खस्ता है. फंड व बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण गौशालाओं का समुचित विकास नहीं हो पाया है. ऐसी ही रिपोर्ट फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (एफआइएपीओ) की ओर से प्रकाशित की गई है.
एफआइएपीओ ने देश के 13 राज्यों व दो केंद्र शासित राज्यों में स्थित 179 वृहद गौशालाओं का सर्वे किया और अपनी सर्वे रिपोर्ट ‘गौ गाथा’ में एफआइएपीओ ने चौंकानेवाली रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्वी भारत की किसी भी गौशाला को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा कोई अनुदान नहीं मिलता. यहां की गौशालाआें की स्थिति अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी खराब है. यहां आधारभूत सुविधाओं का विकास नहीं के बराबर है. इसकी वजह से गायों का संरक्षण भी सही प्रकार से नहीं हो पा रहा है.
गौशालाओं में वैकल्पिक योजनाओं पर नहीं हो रहा काम
किसी भी गौशाला में आपातकालीन अवस्था के लिए कोई तैयारी नहीं
सर्वे रिपोर्ट के संबंध में एफआइएपीओ की कार्यकारी निदेशक वर्दा मेहरोत्रा ने बताया कि यहां के गौशालाओं में गायों को 24 घंटे बांध कर रखा जाता है, उनको चरने या घूमने नहीं दिया जाता. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यहां के किसी भी गौशाला में आपालकालीन अवस्था के लिए कोई भी योजना नहीं है. साथ ही यहां के सभी गौशालाओं में गायों व बछड़ों को अलग-अलग रखा जाता है, जिससे अधिक से अधिक दूध का उत्पादन किया जा सके, क्योंकि गौशालाओं की एक मात्र आमदनी का श्रोत दूध उत्पादन पर निर्भर है.
उन्होंने बताया कि समस्याएं इसलिए हैं, क्योंकि यहां के लोगों के पास कोई प्रशिक्षण नहीं है. आधारभूत सुविधाओं की कमी व वित्तीय सहायता के बिना यहां की गौशालाओं की अवस्था काफी दयनीय है. इसलिए इन गौशालाओं के विकास के लिए इन्हें जल्द से जल्द सहायता की जरूरत है.

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