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बराबरी के अधिकार के लिए जारी रखनी होगी लड़ाई : इशरत जहां

कोलकाता : मुसलिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) से आजादी दिलाने के लिये केंद्र सरकार ने गत बुधवार को फौरी तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिये एक अध्यादेश को मंजूरी दी है. प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार एक साथ तीन तलाक देना अवैध के साथ निष्प्रभावी होगा. केंद्र सरकार के इस पहल […]

कोलकाता : मुसलिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) से आजादी दिलाने के लिये केंद्र सरकार ने गत बुधवार को फौरी तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिये एक अध्यादेश को मंजूरी दी है. प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार एक साथ तीन तलाक देना अवैध के साथ निष्प्रभावी होगा. केंद्र सरकार के इस पहल की इशरत जहां ने स्वागत किया है.
उन्होंने कहा है कि बराबरी के अधिकार के लिये मुसलिम महिलाओं को लड़ाई जारी रखनी होगी. अभी भी अन्य कई ऐसे मसले हैं जिनमें सकरात्मक सुधार की जरूरत है. इन मसलों में पुरुषों के बहुविवाह पर रोक, मुसलिम महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का हक प्रदान करना शामिल है. तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के अध्यादेश पर राजनीति होना सही नहीं है क्योंकि यह सीधे मुसलिम महिलाओं के हित से जुड़ा हुआ है.
इशरत जहां ने यह बातें गुरुवार को ज्वाइंट मुवमेंट कमेटी (फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ मुसलिम वुमन राइट्स) द्वारा कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन मेें कही. इशरत तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर करने वाली पांच महिलाओं में से एक हैं. वर्ष 2014 में फोन इशरत के शौहर ने फोन पर उन्हें तलाक दे दिया था. संवाददाता सम्मेलन के दौरान कमेटी के संयोजक ओसमान मल्लिक, बर्दवान विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ सैयद तनवीर नसरीन, सोशल वर्कर डॉ सुस्मिता भट्टाचार्य, शिक्षिका शालिमा हालदार भी मौजूद रहे.
डॉ सैयद तनवीर नसरीन ने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार की पहल काफी सराहनीय और ऐतिहासिक है. खासतौर से मुसलिम महिलाओं को लिये. भारतीय मुसलिम महिलाओं की हालत काफी अच्छी नहीं है. कई ऐसे मुद्दे हैं जिनमें मुसलिम महिलाएं अपने अधिकार से वंचित हैं. जो हमारे देश के संविधान के ठीक विपरीत है. मुसलिम महिलाओं के बराबरी के अधिकार के लिये ज्वाइंट मुवमेंट कमेटी का आंदोलन जारी रहेगा.

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