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बढ़ रहा है समंदर में विस्फोट का खतरा, माइनस्वीपर पोत की कमी से जूझ रही है भारतीय नौसेना

कोलकाता : भारतीय नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पूर्वी एवं पश्चिमी समुद्री सीमा क्षेत्र में हजारों किलोमीटर लंबी तटरेखा में फैले समुद्री मार्गों और बंदरगाहों की हिफाजत के लिए नौसेना के पास अभी सिर्फ दो ‘माइनस्वीपर’ हैं. ‘माइनस्वीपर’ ऐसे जहाज को कहते हैं, जो पानी के भीतर बनायीगयी बारूदी सुरंगों का […]

कोलकाता : भारतीय नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पूर्वी एवं पश्चिमी समुद्री सीमा क्षेत्र में हजारों किलोमीटर लंबी तटरेखा में फैले समुद्री मार्गों और बंदरगाहों की हिफाजत के लिए नौसेना के पास अभी सिर्फ दो ‘माइनस्वीपर’ हैं.

‘माइनस्वीपर’ ऐसे जहाज को कहते हैं, जो पानी के भीतर बनायीगयी बारूदी सुरंगों का पता लगाकर उन्हें नष्ट करते हैं.

नौसेना में सहायक सामग्री प्रमुख रियर एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन ने बताया कि नौसेना को बारूदी सुरंग हटाने वाले 12 जहाजों की जरूरत है, लेकिन अभी उसके पास सिर्फ दो ऐसे जहाज हैं.

स्वामीनाथन ने कहा, ‘नौसेना इन जहाजों की तुरंत जरूरत है.’

शुक्रवार को नौसेना के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामीनाथन ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ‘माइनस्वीपरों’ के निर्माण के लिए एक विदेशी कंपनी से गठजोड़ की प्रक्रिया में है.

सरकार 32,000 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना के लिए एक विदेशी कंपनी की तलाश में है, ताकि 12 माइनस्वीपर जहाजों की खरीद की जा सके.

इन जहाजों का बुनियादी काम पानी के भीतर बनायीगयी बारूदी सुरंगों का पता लगाना, उसे श्रेणीबद्ध करना और नष्ट करना है.

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