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कोलकाता में फैल रहा है खतरनाक डेंगू डेन टू वायरस

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कोलकाता : कोलकाता में डेंगू के खतरनाक वायरस का प्रकोप ज्यादा है. इसके मद्देनजर नगर निगम की ओर से निगरानी बढ़ा दी गयी है. शहर में डेंगू से इस साल अबतक आठ लोगों की मौत हो चुकी है और 1300 से ज्यादा लोग मच्छरजनित इस बीमारी की चेपट में आ चुके हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, […]

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कोलकाता : कोलकाता में डेंगू के खतरनाक वायरस का प्रकोप ज्यादा है. इसके मद्देनजर नगर निगम की ओर से निगरानी बढ़ा दी गयी है. शहर में डेंगू से इस साल अबतक आठ लोगों की मौत हो चुकी है और 1300 से ज्यादा लोग मच्छरजनित इस बीमारी की चेपट में आ चुके हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, डेंगू का वायरस मूल रूप से चार तरह का होता है.
डेन 1 , डेन 2, डेन 3 और डेन 4 सोरोटाइप. डेंगू डेन 2 और डेन 4 सोरोटाइप अधिक खतरनाक माने जाते हैं. कोलकाता में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों में डेन -2 वायरस मिल रहा है. इससे पीड़ित मरीजों में 3 से 5 दिन में शरीर पर लाल निशान पड़ता है. साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या कम होना इसका प्रमुख लक्षण है.
कोलकाता नगर निगम के मेयर परिषद सदस्य (स्वास्थ्य) अतिन घोष ने सोमवार को कहा कि डेंगू फैलाने वाले मच्छरों में इस वर्ष डेन 2 वायरस पाया जा रहा है. इसलिए ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है. डेन 2 वायरस को देखते हुए सभी डेंगू डिटेक्शन सेंटरों को सतर्क कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को ज्यादा खतरा है, जिन्हें पहले कभी डेंगू हुआ था और दोबारा डेंगू डेन 2 वायरस की चपेट में आ गये हैं.
यह जानलेवा हो सकता है. इस लिए इसकी भी जांच हो रही है कि मरीज पहले कभी डेंगू की चपेट में आया था या नहीं. बदन दर्द, पेट दर्द, कमर दर्द बुखार की समस्या को लेकर आने वाले मरीजों का भी एनएस1 जांच की जा रही है.
चिकित्सक नहीं मान रहे हैं डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन :
श्री घोष ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि महानगर में कई ऐसे चिकित्सक हैं,जो डेंगू के इलाज के क्षेत्र में केंद्र सरकार या डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन नहीं मान रहे हैं. नतीजे में मरीजों की उचित चिकित्सा नहीं हो पा रही है. इस समस्या को लेकर हमने राज्य स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी है. ताकि राज्य सरकार इस समस्या पर ध्यान दे.
तीन तरह का होता है डेंगू :
स्कूल ऑफ ट्रापिकल मेडिसिन के वायरोलॉजिस्ट के अनुसार, डेंगू तीन तरह का होता है. क्लासिकल (साधारण) डेंगू, डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ) तथा तीसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस), डीएचएफ व डीएसएस की चपेट में आने से मरीज की मौत हो सकती है.

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