पूजा आयोजकों के अनुदान पर रोक जारी, गुरुवार तक स्थगनादेश की बढ़ी मियाद

कोलकाता : दुर्गापूजा में आयोजकों को राज्य की ओर से दिये जानेवाले अनुदान पर कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा लगाये गये स्थगनादेश की मियाद बढ़ा दी गयी है. आगामी गुरुवार तक मियाद बढ़ाने का निर्देश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देवाशीष कर गुप्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने दिया है. मामले की स्वीकार्यता को लेकर मंगलवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2018 3:52 AM
कोलकाता : दुर्गापूजा में आयोजकों को राज्य की ओर से दिये जानेवाले अनुदान पर कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा लगाये गये स्थगनादेश की मियाद बढ़ा दी गयी है. आगामी गुरुवार तक मियाद बढ़ाने का निर्देश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देवाशीष कर गुप्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने दिया है.
मामले की स्वीकार्यता को लेकर मंगलवार को राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त व शक्तिनाथ मुखर्जी ने सवाल उठाये. उनका कहना था कि यह मामला स्वीकार योग्य नहीं है. राज्य की ओर से यह राशि दुर्गापूजा में अनुदान के तौर पर नहीं दी जा रही है. यह सरकारी परियोजना के पैसे हैं, जो निश्चित सरकारी काम में उपयोग किये जा रहे हैं.
सरकार किस परियोजना में कितना खर्च करेगी, इसे लेकर करदाता सवाल नहीं उठा सकते. अदालत भी इन पैसों के खर्च को लेकर हस्तक्षेप नहीं कर सकती. बजट में इसमें प्रावधान किया गया है, जहां से यह पैसे दिये गये हैं. अगले वर्ष के बजट में इसे दिखाया जायेगा.
हालांकि राज्य सरकार के इस दावे पर खंडपीठ ने सवाल उठाया. खंडपीठ का कहना था कि कम्यूनिटी पुलिसिंग के लिए बजट एक करोड़ रुपये थे, वे बढ़कर 28 करोड़ कैसे हुए. पैसे सही तरीके से खर्च न होने पर उसकी जिम्मेदारी किसकी है? याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि पैसों का दुरुपयोग हो सकता है.
अदालत यदि सरकारी परियोजना में हस्तक्षेप न भी करे, तो कोई भी राज्य किसी गाइडलाइन या निगरानी के बगैर निजी संस्थान को क्या पैसे दे सकती है? इस मामले में खंडपीठ का प्राथमिक तौर पर मानना है कि निगम कहां कितनी जलापूर्ति करता है, वह उसका विषय हो सकता है. लेकिन पाइपलाइन में छेद होने पर अदालत क्या मरम्मत की दिशा में कुछ नहीं करेगी? यदि नहीं करती है, तो जलापूर्ति बाधित होगी. रोगी के मरने से पहले क्या उसे ऑक्सीजन देने की बात अदालत नहीं कह सकती?

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