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खौफ में रोहिंग्या: बंगाल से भागकर हरियाणा और कश्मीर में ली शरण

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के कैंप में रह रहे करीब 400 रोहिंग्या परिवारों ने निर्वासन के डर से हरियाणा और कश्मीर में शरण ले ली है. पश्चिम बंगाल के इस एकमात्र रोहिंग्या कैंप में अब सिर्फ तीन परिवार बचे हैं. इसी महीने एक अक्तूबर को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के कैंप में रह रहे करीब 400 रोहिंग्या परिवारों ने निर्वासन के डर से हरियाणा और कश्मीर में शरण ले ली है. पश्चिम बंगाल के इस एकमात्र रोहिंग्या कैंप में अब सिर्फ तीन परिवार बचे हैं. इसी महीने एक अक्तूबर को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने के लिए राज्य सरकारों को आदेश दिया था, ताकि कूटनीतिक ढंग से म्यांमार से बात कर उन्हें वापस उनकी जगहों पर पहुंचाया जा सके.
हाल ही में असम से सात रोहिंग्या अप्रवासियों को म्यांमार पहुंचाया गया था, जिसके बाद भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे रोहिंग्याओं में डर का माहौल है.देश बचाओ सामाजिक कमेटी के अध्यक्ष होसेन गाजी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्य है कि पुलिस के अत्याचार और केंद्र सरकार द्वारा निर्वासन के कदम के बाद ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान हरियाणा और कश्मीर भाग गये हैं. इनमें से कोई भी म्यांमार वापस नहीं जाना चाहता, क्योंकि उन्हें पता है कि वे लोग क्रूरता से मारे जायेंगे.
इसी महीने असम सरकार ने अपने राज्य में रह रहे सात रोहिंग्याओं को वापस भेज दिया था, जिसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों शरण लेकर बैठे रोहिंग्याओं में भय का माहौल है. होसेन गाजी के अनुसार कुछ महीने पहले दक्षिण 24 परगना में हमारे शिविर में लगभग 400 रोहिंग्या रह रहे थे, लेकिन अब केवल तीन रोहिंग्या मुस्लिम परिवार (12 सदस्य शामिल हैं) बचे हैं. वे जल्द ही अन्य राज्य की ओर पलायन की योजना बना रहे हैं.

वह उन्हें बंगाल नहीं छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वे यहां सुरक्षित हैं और वह कानूनी रूप से उनके लिए लड़ेंगे. म्यांमार में स्थिति सबसे खराब है और बंगाल में रह रहे रोहिंग्या धमकी दे रहे हैं कि अगर उन्हें म्यांमार वापस भेजा गया, तो वे आत्महत्या कर लेंगे. भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे रोहिंग्याओं को केंद्र सरकार सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें वापस म्यांमार भेजना चाहती है. वहीं, मानवाधिकार संगठनों ने मांग की है कि सरकार को उनके कल्याण के लिए विस्तृत योजनाएं तैयार करनी चाहिए, क्योंकि जबरदस्ती उन्हें म्यांमार भेजना मौत में धकेलने के बराबर होगा.

पिछले साल सितंबर में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रोहिंग्या के समर्थन में आकर केंद्र सरकार पर निर्वासन के नाम पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था. गौरतलब है कि पिछले साल म्यांमार के रक्खाइन प्रांत से सात लाख रोहिंग्याओं को भागकर बांग्लादेश में शरण ली थी. म्यांमार से भागे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के लिए बांग्लादेश कई इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर आवाज उठा चुका है. वहीं, यूएन ने भी रोहिंग्याओं को वापस बसाने के लिए म्यांमार से कई बार आग्रह किया है.

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