कोलकाता टर्मिनल निजी कंपनी को सौंपा जायेगा

कोलकाता : भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्‍ल्‍यूएआई) सार्वजनिक निजी भागीदारी की दिशा में मंगलवार को एक सशक्‍त प्रयास करते हुए कोलकाता में अपने टर्मिनलों के परिचालन और प्रबंध का काम मैसर्स सुमित अलायंस पोर्ट ईस्‍ट गेटवे (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड (एसएपीईएल) को आपूर्ति, परिचालन और रखरखाव (एसओएम) मॉडल पर सौंप देगा. सौंपने का कार्य जहाजरानी सचिव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2018 3:30 AM
कोलकाता : भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्‍ल्‍यूएआई) सार्वजनिक निजी भागीदारी की दिशा में मंगलवार को एक सशक्‍त प्रयास करते हुए कोलकाता में अपने टर्मिनलों के परिचालन और प्रबंध का काम मैसर्स सुमित अलायंस पोर्ट ईस्‍ट गेटवे (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड (एसएपीईएल) को आपूर्ति, परिचालन और रखरखाव (एसओएम) मॉडल पर सौंप देगा. सौंपने का कार्य जहाजरानी सचिव गोपाल कृष्‍ण की उपस्थिति में कोलकाता में आयोजित एक समारोह में किया जायेगा.
टर्मिनल जीआर जेटी-1 और बीआईएसएन और अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्‍ल्‍यूटी) की जीआर जेटी-II को रेवेन्‍यू शेयरिंग (व्‍यावसायिक गठबंधन से होने वाले लाभ को बांटकर) मॉडल पर सज्जित करने, परिचालन और प्रबंधन के लिए एसएपीईएल को सौंपा जायेगा. परिचालनकर्ता को यह अधिकार होगा कि वह उपयोग करने वाले लोगों से आईडब्‍ल्‍यूएआई द्वारा अधिसूचित शुल्‍क दरों के अनुसार उपयोग
शुल्‍क वसूले.
यह ठेका 30 वर्ष के लिए वैध होगा. यह कार्य वैश्विक निविदा प्रक्रिया के जरिये कोलकाता में गार्डेनरीच टर्मिनल और पटना में गायघाट और कालूघाट टर्मिनल के लिए किया गया. एसओएम मॉडल के अंतर्गत आईडब्‍ल्‍यूएआई द्वारा हाथ में ली गई पहली पीपीपी परियोजना होने के नाते इस कार्यक्रम ने भारत में आईडब्‍ल्‍यूटी के विकास में निजी निवेश का मार्ग प्रशस्‍त कर दिया है.
आईडब्‍ल्‍यूएआई के अध्‍यक्ष प्रवीर पांडे के अनुसार, इससे परिचालनकर्ता कोलकाता और पटना में रख-रखाव सेवा को हाथ में लेकर कार्गो संचालन उपकरण, कंटेनर संचालन उपकरण और भंडार गृहों में निवेश कर सकेंगें. कोलकाता और पटना टर्मिनलों विकसित करने से नेपाल जाने वाले कंटेनरयुक्‍त कार्गो राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1 से निकालने की भारी संभावना है. कोलकाता से पटना में प्रवेश से सड़क और रेल की तुलना में क्रमश: 24 और 4 फीसदी की बचत होगी. कोलकाता से काठमांडू प्रवेश में सड़क और रेल की तुलना में क्रमश: करीब 13 व 26 फीसदी की बचत होगी.

Next Article

Exit mobile version