पश्चिम बंगाल का सबरीमाला : काली पूजा में महिलाओं को प्रवेश नहीं

कोलकाता : केरल के सबरीमाला मंदिर के विवादों के बीच कोलकाता में भी पूजास्थल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का मामला सामने आया है. यहां 34 साल से चली आ रही पंचकूंडा काली पूजा के पंडाल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. इस बारे में एक ओर जहां आयोजकों का कहना है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2018 6:16 AM

कोलकाता : केरल के सबरीमाला मंदिर के विवादों के बीच कोलकाता में भी पूजास्थल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का मामला सामने आया है. यहां 34 साल से चली आ रही पंचकूंडा काली पूजा के पंडाल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. इस बारे में एक ओर जहां आयोजकों का कहना है कि वे तो महिलाओं को शामिल करना चाहते हैं, लेकिन फैसला तांत्रिकों के हाथ में है. वहीं, तांत्रिकों का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है और मंदिर सभी के लिए खुला है.

उल्लेखनीय कि तारापीठ कोलकाता से 265 किलोमीटर दूर वीरभूम जिला स्थित द्वारका नदी के तट पर स्थित है और यह तांत्रिक कार्यकलाप के लिए प्रसिद्ध है. हर साल यहां होनेवाली सामुदायिक पूजा पर करीब तीन लाख रुपये खर्च होते हैं और पूजा में भारी भीड़ इकट्ठा होती है. आयोजक ने इस साल यहां 15 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित करने की योजना बनायी है.
पूजा के बाद मूर्ति का विसर्जन नौ नवंबर को होगा. चेतला प्रदीप संघ की कार्यकारिणी के सदस्य गंगाराम शॉ ने बताया है कि पंचकूंडा काली पूजा में तंत्र-मंत्र का प्रयोग होता है. तारापीठ के तांत्रिक हर साल पूजा करते हैं. उन्होंने बताया कि पूर्वजों से सवाल किया था लेकिन महिलाओं को कुछ छूने की भी अनुमति नहीं होती है.
आयोजकों ने कहा तांत्रिक लेते हैं फैसला
बंगाल में दिवाली के अवसर पर काली पूजा का आयोजन होता है, जो इस साल छह नवंबर को है. शॉ ने बताया कि पहली बार जब यहां पूजा का आयोजन हुआ था उसी समय से यह प्रतिबंध जारी है. समिति के दूसरे सदस्य मनोज घोष ने कहा : बतौर आयोजक हम महिलाओं को पूजा में शामिल करना चाहते हैं, लेकिन इस पूजा में हमारा कोई फैसला नहीं होता है. हम वही करते हैं जो हमें तांत्रिक बताते हैं.
तांत्रिक का कहना, सबके लिए खुला है मंदिर
आश्चर्य व्यक्त करते हुए 81 वर्षीय मूलमंत्रा रॉय ने कहा : मैं यहां सबसे उम्रदराज पुजारी हूं. मेरा मानना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसमें महिलाओं के प्रवेश पर रोक हो.हमारा मंदिर सबके लिए खुला है. मैं इस बात से हैरान हूं कि कौन ऐसे पुजारी हैं जो रोक की बात कर रहे हैं.

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