मां काली की पूजा को मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु
कोलकाता : मां काली की आराधना के लिए मंगलवार को महानगर समेत जिलों के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. कोलकाता के काली घाट, दक्षिणेश्वर मंदिर के साथ-साथ तारापीठ में भी श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा. सुरक्षा के लिहाज से इस दिन इन मंदिरों में बड़ी भारी संख्या में पुलिस के जनाव तैनात किये गये […]
कोलकाता : मां काली की आराधना के लिए मंगलवार को महानगर समेत जिलों के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. कोलकाता के काली घाट, दक्षिणेश्वर मंदिर के साथ-साथ तारापीठ में भी श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा. सुरक्षा के लिहाज से इस दिन इन मंदिरों में बड़ी भारी संख्या में पुलिस के जनाव तैनात किये गये थे. मां काली की पूजा के लिए सुबह की पहली किरण से पहले ही लोग मंदिरों की ओर प्रस्थान कर गये थे. सुबह से ही इन मंदिरों में लंबी-लंबी लाइन लगनी शुरू हो गयी थी.
सात बजे के करीब दक्षिणेश्वर मंदिर का कपाट खोला गया, जिसके बाद मां काली की पूजा की शुरू हुई. जैसे-जैसे दिन चढ़ा, श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गयी. मंदिर के आसपास बांस के जरिए घेराबंदी कर पुलिस ने सुनियोजित तरीके से पूजा- व्यवस्था कर रखी थी. यहां मां काली की पूजा लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे थे.
गौरतलब है कि सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दक्षिणेश्वर स्टेशन से मंदिर परिसर तक करीब 350 मीटर लंबे स्काई वॉक का उद्घाटन किया था जिसे मंगलवार को आम लोगों के लिए खोल दिया गया. ऐसे में सुबह के समय से ही बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ यहा न केवल पूजा करने के लिए बल्कि नवनिर्मित स्काइ वॉक पर चढ़ने के लिए भी उपस्थित रही.
कालीघाट में भी श्रद्धालुओं की रही भीड़
देशभर के 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट में ही सती के दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थीं. महत्वपूर्ण बात यह है कि रात 10.30 बजे के बाद अमावस्या की शुरुआत से पहले यहां मां काली को लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. मां को अर्पित होनेवाला भोग भी लक्ष्मी पूजा के समान ही चढ़ाया जाता है. मंदिर के पुरोहित ने बताया कि सुबह के समय से ही चावल, पांच तरह का भाजा (तेल में भुनकर), पांच तरह की सूखी हुई मछलियों का भाजा, घी, मिठाई और बकरे का मांस मां की पूजा में भोग के रूप में चढ़ाया जाता है. बाद में उसी को प्रसाद के तौर पर वितरित भी किया जाता है.
तारापीठ में भी रहा श्रद्धालुओं का हुजूम
इधर कालीघाट और दक्षिणेश्वर की तरह ही बीरभूम के तारापीठ में भी मां काली की पूजा के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा रहा. 51 शक्तिपीठों में से एक तारापीठ भी है. यहा मां काली, मां तारा के रूप में पूजी जाती हैं. यहा मां सती का नेत्र गिरा था. इस दिन सुबह के समय में ही पूजा के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़े थे.