नेताजी के जरिये बंगाल के लोगों को रिझाने में जुटी भाजपा
कोलकाता : प्रदेश भाजपा, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जरिये राज्य की सत्ता पर काबिज होना चाहती है. इसलिए पार्टी ने नेताजी को अपने अभियान का हिस्सा बना लिया है. उनके नाम पर भाजपा राज्य के लोगों को रिझाने की कोशिश में जुट गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद […]
कोलकाता : प्रदेश भाजपा, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जरिये राज्य की सत्ता पर काबिज होना चाहती है. इसलिए पार्टी ने नेताजी को अपने अभियान का हिस्सा बना लिया है. उनके नाम पर भाजपा राज्य के लोगों को रिझाने की कोशिश में जुट गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार के गठन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराकर आजादी के इस महानायक को श्रद्धांजलि दी थी. बंगाल के लोगद भी मानते हैं कि नेताजी को जो सम्मान मिलना चाहिए था, उन्हें नहीं मिला.
प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके प्रशांत कुमार राय ने कहा कि नेताजी के प्रति मोदी का प्रेम जाहिर करने का इससे बेहतर समय भला और क्या हो सकता था. नेताजी बंगाल के लाडले हैं. प्रशांत राय का कहना है कि प्रधानमंत्री और भाजपा ने इस बहस को नये सिरे से छेड़कर पुरानी भावनाओं को सुलगा दिया है कि क्या 21 अक्तूबर, 1943 को नेताजी की आजाद सरकार की घोषणा को भारत के स्वतंत्रता दिवस की तरह नहीं मनाया जाना चाहिए.
कांग्रेस जैसे दूसरे राजनीतिक दल भी इस पर सतर्कता के साथ प्रतिक्रिया देने की कोशिश कर रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी ने कहा कि हम इसके खिलाफ क्यों रहेंगे? हमनें कभी भी नेताजी का असम्मान नहीं किया. श्री चटर्जी ने कहा कि पार्टी इस बार भी नेताजी की जयंती धूमधाम से मनायेगी, जैसा पहले करती आयी है. तृणमूल कांग्रेस एक जवाबी रणनीति भी तैयार कर रही है, जिसके मुताबिक नेताजी के उन भाषणों के अंश वाले पत्रक और पोस्टर छापे जायेंगे जिनमें उन्होंने हिंदू महासभा की कटु आलोचना की थी (यह भाषण मई 1940 में झाडग़्राम की एक जनसभा का है).
भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी तब हिंदू महासभा के अध्यक्ष हुआ करते थे. लेकिन भाजपा महासचिव देवश्री चौधुरी का कहना है कि ऐसे अभियानों में दम नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले हिंदू महासभा को लेकर नेताजी के दिमाग में कुछ भ्रम था, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट तौर पर यह स्वीकार किया कि वे गलत थे. उन्होंने इसको साबित करने के लिए इस बात का हवाला दिया कि बाद में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने ‘हिंदुत्ववादी’ नेता रास बिहारी बोस को आजाद हिंद फौज का सलाहकार बनाने का निर्णय लिया.
श्री चौधुरी ने एक नया अफसाना गढ़ने की भी कोशिश की. उन्होंने कहा कि 1943 के बाद देश को आजादी देने में जान-बूझकर चार साल की देरी की गयी और वह सिर्फ इसलिए कि नेहरू को फायदा हो और देश का विभाजन किया जा सके. उन्होंने नेताजी के मसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी पर भी सवाल खड़ा किया. हालांकि, बंगाल के महान सपूतों के प्रति भाजपा का यह प्यार सिर्फ नेताजी तक सीमित नहीं है.
पार्टी, बकिंम चंद्र चट्टोपाध्याय, राममोहन राय, विद्यासागर, खुदीराम बोस और श्री अरविंदो जैसे नायकों को हिंदू राष्ट्रवादी नायक साबित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन नेताजी की रिश्तेदार और पूर्व तृणमूल सांसद कृष्णा बोस तथा उनके बेटे सौगत बोस, जो अभी सांसद हैं, इस तरह के नये विवाद शुरू होने से काफी नाखुश हैं. कृष्णा बोस ने कहा कि लाल किले पर प्रधानमंत्री का झंडा फहराना अच्छी बात है, लेकिन उनकी विवादास्पद राजनीतिक जुमलेबाजी ऐसे राष्ट्रीय आयोजनों के लिए उपयुक्त नहीं है.