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किसान विरोधी है राज्य सरकार : दिलीप

कोलकाता : किसानों को बंगाल में उनकी फसल का समर्थन मूल्य लागू करने, ऋण माफी के साथ कानून व्यवस्था समेत विभिन्न मांगों के समर्थन में भाजपा किसान मोर्चा की ओर से मंगलवार को विधानसभा अभियान चलाया गया. संगठन के तय कार्यक्रम के तहत हजारों की संख्या में किसान, विधानसभा अभियान में हिस्सा लेने पार्टी के […]

कोलकाता : किसानों को बंगाल में उनकी फसल का समर्थन मूल्य लागू करने, ऋण माफी के साथ कानून व्यवस्था समेत विभिन्न मांगों के समर्थन में भाजपा किसान मोर्चा की ओर से मंगलवार को विधानसभा अभियान चलाया गया. संगठन के तय कार्यक्रम के तहत हजारों की संख्या में किसान, विधानसभा अभियान में हिस्सा लेने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पहुंचे.
वहां से तकरीबन डेढ़ बजे प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामकृष्ण पाल के नेतृत्व में लोग जुलूस विधानसभा की तरफ निकला, लेकिन पुलिस ने जुलूस को रानी रासमणी एवेन्यू में बैरिकेड करके रोक दिया. इस बीच प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बीच रास्ते से ही निकल गये. इधर रानी रासमणी एवेन्यू में पुलिस ने बैरिकेड लगाकर मुस्तैदी से तैनात थी. ताकि हालात बिगड़ने पर स्थिति से निबटा जाय.
जुलूस को जब रोक दिया गया तो नेता, जुलूस के साथ चल रहे चलायमान मंच जो कि मेटाडोर पर बना हुआ था, उस पर चढ़ कर भाषण देना शुरू कर दिया. इस दौरान किसान मोर्चा के अध्यक्ष रामकृष्ण पाल ने मुख्यमंत्री को दिया जानेवाला मांग पत्र किसानों को पढ़कर सुनाया. इसके बाद उन्होंने एलान किया कि उनके नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने जायेगा. जब प्रतिनिधिमंडल विधानसभा जाने के लिए बढ़ा तो पुलिस ने उन्हे रोक दिया.
इसके बाद पुलिस ने बताया कि विधानसभा में मुख्यमंत्री उनका ज्ञापन नहीं लेंगी और न ही कोई मंत्री. इतना सुनते ही वहां मौजूद नेता उत्तेजित हो गये और कार्यकर्ताओं को बैरिकेड तोड़ने का आह्वान मंच से करने लगे. मुट्ठी भर कुछ उत्साहित कार्यकर्ता आगे जरूर बढ़े लेकिन जुलूूस में आये बाकी लोगों ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी. हालात के मद्देनजर कार्यक्रम के समापन की घोषणा करते हुए लंबी लड़ाई लड़ने का एलान किया गया.
इस बाबत प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया कि किसानों की जायज मांगों को लेकर उनका यह आंदोलन पूरी तरह राजनैतिक आंदोलन है और इसे शांतिपूर्ण तरीके से चलाया जा रहा है. पुलिस से हमनें उम्मीद की थी कि वह सहयोग करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. किसान अपनी मांगे सुनाने सीएम के पास गये थे,लेकिन उनकी बात नहीं सुनकर ममता बनर्जी ने अपने किसान विरोधी होने का प्रमाण दिया है.

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