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कोलकाता : दामोदर नदी अब दुर्गापुर का कचरा लेकर नहीं पहुंचेगी गंगा में

कोलकाता : औद्योगिक नगर दुर्गापुर की गंदगी लेकर अब दामोदर नदी गंगा में नहीं गिरेगी. स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन की कार्यकारिणी समिति ने पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की गंगा की सहयोगी नदियों पर निर्माण के लिए कुल 841 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का अनुमोदन किया है. बीते मंगलवार को नयी दिल्ली में हुई समिति […]

कोलकाता : औद्योगिक नगर दुर्गापुर की गंदगी लेकर अब दामोदर नदी गंगा में नहीं गिरेगी. स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन की कार्यकारिणी समिति ने पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की गंगा की सहयोगी नदियों पर निर्माण के लिए कुल 841 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का अनुमोदन किया है.
बीते मंगलवार को नयी दिल्ली में हुई समिति की 18 वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया. समिति के ताजा निर्णय के साथ ही नमामि गंगा मिशन के अंतर्गत गंगा की सहयोगी नदियों पर बनायी जा रही जल-मल स्वच्छता परियोजनाओं की कुल अनुमोदित धनराशि का परिमाण बढ़कर 5735 करोड़ रुपये हो गया है.
पश्चिम बंगाल में ताजा अनुमोदित सफाई योजना 287.53 करोड़ रुपये की लागत से दामोदर नदी पर कार्यान्वित की जायेगी. इसमें दामोदर में गिरने वाले गंदे नालों पर सफाई संयंत्र स्थापित करना शामिल है. साथ ही, दुर्गापुर नगरपालिका के अंतर्गत पम्पिंग स्टेशनों और सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों की स्थापना भी की जायेगी.
287.53 करोड़ रुपये की लागत से दामोदर नदी पर कार्यान्वित की जायेगी परियोजना
अनुमोदित परियोजना के अंतर्गत दामोदर पर 5.73 किलोमीटर की लंबाई में 25 एमएलडी क्षमता के दो एसटीपी और 30 एमएलडी क्षमता का एक एसटीपी स्थापित किया जायेगा.
परियोजना राशि में इन शोधन संयंत्रों का 15 वर्षों का रख-रखाव खर्च भी शामिल है. उल्लेखनीय है कि दुर्गापुर शहर में वर्तमान में नालों का कोई केंद्रीकृत शोघन संयंत्र नहीं है जिसके चलते मलिन जल से काफी समस्या होती है. शहर की समूची गंदगी नालों से दामोदर होते हुए अंतत
गंगा नदी में जाती है.समिति ने अपनी ताजा बैठक में बिहार की गंगा नदी की सहयोगी नदियों पर कुल 41.36 करोड़ रुपये की लागत से सफाई संयंत्र विकसित किये जाने का अनुमोदन भी किया है.
राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन के अंतर्गत गंगा की विभिन्न राज्यों में प्रवाहित सहयोगी नदियों पर कचरा शोधन संयंत्रों की स्थापना के लिए 30 परियोजनाएं पहले ही स्वीकृत की जा चुकी हैं. ये संयंत्र पश्चिम बंगाल के साथ-साथ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में स्थापित किये जा रहे हैं.

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