कोलकाता : रथयात्रा पर रोक का फैसला खारिज, कलकत्ता हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच सुनाया फैसला

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रस्तावित रथयात्रा पर रोक लगाने के आदेश को कलकत्ता हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने भाजपा को रथयात्रा निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था. इस मामले में सुनवाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2018 7:20 AM
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रस्तावित रथयात्रा पर रोक लगाने के आदेश को कलकत्ता हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने भाजपा को रथयात्रा निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को भाजपा के तीन प्रतिनिधियों को राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से 12 दिसंबर तक मुलाकात करने के निर्देश दिये हैं.
अदालत इस मामले में 14 दिसंबर तक अंतिम फैसला सुनायेगी. अदालत का कहना था कि केवल आशंका के आधार पर रिपोर्ट जमा दी गयी थी. केवल आशंका के आधार पर एक राजनीतिक दल के सभा करने के अधिकार को छीना जा सकता है? एक महीने तक राज्य सरकार के नींद में रहने की वजह से ऐसी कानूनी जटिलता बनी है.
इसलिए खंडपीठ, सिंगल बेंच के फैसले को बदल रही है. सिंगल बेंच ने सभी बिंदुओं पर विचार न करके फैसला दिया था. मामले की सुनवाई में भाजपा की ओर से वकील अनिंद्य मित्रा ने कहा कि सभा के लिए राज्य प्रशासन के पास अनुमति के लिए चार बार पत्र दिया गया था. पहला पत्र 29 अक्तूबर को दिया गया था. आखिरी पत्र पांच नवंबर को दिया गया था.
लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. इस संबंध में खंडपीठ ने पूछना चाहा कि भाजपा ने अनुमति या सहयोग, क्या मांगा था? जवाब में अनिंद्य मित्रा का कहना था कि सभा-जुलूस करना लोगों का संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने केवल प्रशासन का सहयोग मांगा था. खंडपीठ ने राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त के पास जानना चाहा कि भाजपा ने काफी पहले पत्र दिया था, तब कुछ क्यों नहीं किया गया?
किशोर दत्त का कहना था कि जलपाईगुड़ी के अतिरिक्त पुलिस सुपर (ग्रामीण), एएसआइ, एसआइ सहित 20 पुलिसकर्मियों पर हमला हुआ था. रथयात्रा के वक्त कुछ अप्रिय घटना होने पर भाजपा क्या इसकी जिम्मेदारी लेगी? अदालत ने इसपर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि केवल हंगामे की आशंका से जुलूस नहीं रोका जा सकता.
राज्य सरकार किसी एक दल के खिलाफ अनुचित आचरण नहीं कर सकती. सरकार ने क्या भाजपा से जानना चाहा कि रथयात्रा में कितने लोग होंगे? राज्य क्यों खामोश था? एक अधिकारी का नाम बतायें जिन्होंने गृह विभाग में भाजपा की चिट्ठी भेजनी की व्यवस्था की थी. रातोंरात कुछ नहीं होता. देखा जा रहा है कि सरकार ने कुछ भी नहीं किया.
खंडपीठ का यह भी कहा था कि खुफिया रिपोर्ट इस बाबत कुछ नहीं कहती. लेकिन नवंबर के आखिर में जब मामला दर्ज हुआ, तो सरकार हरकत में आयी. डेढ़ महीने तक सरकार क्यों खामोश थी?
गौरतलब है कि भाजपा की सात दिसंबर से उत्तर में कूचबिहार से अभियान शुरू करने की योजना थी. इसके बाद नौ दिसंबर को दक्षिण 24 परगना जिला और 14 दिसंबर को वीरभूम जिले में तारापीठ मंदिर से भारतीय जनता पार्टी का रथ यात्रा शुरू करने का कार्यक्रम है.

Next Article

Exit mobile version