कोलकाता : कोर्ट में फंसी भाजपा की रथयात्रा

कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी को उस वक्त झटका लगा, जब कलकत्ता हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें भाजपा को रथयात्रा की अनुमति दी गयी थी. राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मामले को फिर से सिंगल बेंच के पास भेज दिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2018 8:13 AM
कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी को उस वक्त झटका लगा, जब कलकत्ता हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें भाजपा को रथयात्रा की अनुमति दी गयी थी. राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मामले को फिर से सिंगल बेंच के पास भेज दिया है.
इधर, शुक्रवार को हाइकोर्ट में ठंड की छुट्टी के पहले काम का आखिरी दिन था. सिंगल बेंच में मामला भेजने पर भी सुनवाई हाइकोर्ट के जनवरी के पहले हफ्ते में खुलने पर ही इस पर सुनवाई हो पायेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि रथयात्रा फिलहाल नहीं हो सकती है.
कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवाशीष कर गुप्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने कहा कि सिंगल बेंच को उन सभी 36 खुफिया रिपोर्ट पर विचार करना चाहिए था, जो उसके सामने पेश किये गये थे.
इधर, भाजपा के वकील एसएस कपूर का कहना था कि राज्य सरकार ने किसी भी तरह भाजपा की रथयात्रा को रोकने का फैसला किया है. इसके लिए समूचे प्रशासन को काम पर लगाया गया है. अन्यथा जब अक्तूबर महीने में राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को चिट्ठी दी गयी थी, तब कोई जवाब नहीं मिला था.
लेकिन पांच दिसंबर को मामला करने के बाद राज्य सरकार एक के बाद एक पुलिस रिपोर्ट दिये जा रही है. इतने दिनों तक भाजपा की चिट्ठी का कोई जवाब ऊपर या निचले स्तर के पुलिस अधिकारी ने नहीं दिया था.
उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट परिसर में प्रदेश कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया. उनका कहना था कि तृणमूल सरकार के हाथों उनके कार्यकर्ता मार खा रहे हैं और उनके नेता, अभिषेक मनु सिंघवी राज्य सरकार का पक्ष अदालत में रख रहे हैं.
राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को दी थी चुनौती
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में भाजपा के ‘रथ यात्रा’ कार्यक्रम की इजाजत देने वाले कलकत्ता हाइकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को खंड पीठ में चुनौती दी. कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए कहा वह प्रतिवादी भाजपा को इसकी प्रतियां उपलब्ध करवाये. इसके बाद सुनवाई शुरू होगी.
28 दिसंबर को निकालनी थी रथयात्रा
बंगाल में भाजपा का तीन रथ यात्राएं निकालने का कार्यक्रम था. पहली रथयात्रा 28 को कूचबिहार से, दूसरी 29 को वीरभूम से और तीसरी 31 दिसंबर को दक्षिण 24 परगना से निकाली जानी थी. भाजपा ने हाइकोर्ट को रथयात्रा की नयी तारीख के बारे में जानकारी दी थी.
क्या कहा हाइकोर्ट ने
शुक्रवार को खंडपीठ के समक्ष सुनवाई में राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता का कहना था कि जिले के पुलिस सुपर, डीएम व राज्य प्रशासन की ओर से जो 36 खुफिया रिपोर्ट दी गयी थीं, सिंगल बेंच ने उन्हें खोलकर भी नहीं देखा. पुलिस रिपोर्ट को न देखकर बेंच ने एकतरफा फैसला सुनाया है. उन्होंने यह भी कहा कि सभा, जुलूस आदि से उकसाया जाता है, तो पुलिस उसपर पाबंदी लगा सकती है.
खंडपीठ ने सवाल पूछा कि सरकार कैसे निश्चित हो रही है कि रथयात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द्र प्रभावित हो सकती है. इसपर एडवोकेट जनरल ने कहा कि मुख्य सचिव, गृह सचिव और राज्य पुलिस के अलावा जिलों के एसपी व खुफिया रिपोर्ट यह बात कह रही है.
ऐसे में किस भरोसे पर रथयात्रा की अनुमति दी जा सकती है. गौरतलब है कि न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की अदालत ने गुरुवार को भाजपा के लोकतंत्र बचाओ रथयात्रा को अनुमति दे दी थी. इससे पहले, राज्य सरकार ने रथयात्रा को अनुमति देने से इनकार कर दिया था. सिंगल बेंच ने भाजपा को 22, 24 व 26 दिसंबर को रथयात्रा निकालने की अनुमति दी थी.
अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा सरकार का पक्ष :
विशिष्ट वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्य पुलिस का पक्ष रखते हुए अदालत में जब वक्तव्य रखना चाहा, तो भाजपा के वकील एसएस कपूर ने इसका तीव्र विरोध किया. सिंघवी ने कहा कि पूरे मामले में पुलिस की मुख्य भूमिका है. कानून व्यवस्था देखने का जिम्मा पुलिस का है.
इसपर अदालत ने प्रश्न उठाया कि जब एडवोकेट जनरल किशोर दत्त अपनी बात रख रहे हैं, तो अभिषेक मनु सिंघवी क्यों हस्तक्षेप कर रहे हैं? क्या सरकार दोनाली बंदूक का इस्तेमाल करना चाहती है? हालांकि बाद में उन्हें अपनी बात कहने की इजाजत दी गयी. लेकिन कहा गया कि जो बातें एडवोकेट जनरल ने कह दी हैं, उसकी पुनरावृत्ति वह न करें.
सिंघवी ने कहा कि वह सभा का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि जुलूस का विरोध कर रहे हैं. जुलूस मौलिक अधिकार नहीं है. देश में सर्वाधिक यात्री वहन करनेवाली बस वॉल्वो है. 53 यात्रियों को वह वहन कर सकती है. 1500 लोगों को ले जाने के लिए 30 बस लगेगी. इससे करीब एक किलोमीटर के रास्ते को बस ही दखल कर लेगी. इससे ट्रैफिक व्यवस्था भी बाधित होगी.

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