मालदा : अफीम की अवैध खेती से मुक्त हुआ मालदा जिला : एसपी
मालदा : जिला मालदा जो कभी कपड़ा कारोबार के लिए पूरे देश में विख्यात था, वह पिछले कई दशक से बढ़े अपराधों और खूनी संघर्ष के लिये जाने जाने लगा था. लेकिन जिला पुलिस की पहल से इस हालात में बदलाव देखने में आ रहा है. जिला एसपी अर्णव घोष की प्रेरणा से जिला पुलिस […]
मालदा : जिला मालदा जो कभी कपड़ा कारोबार के लिए पूरे देश में विख्यात था, वह पिछले कई दशक से बढ़े अपराधों और खूनी संघर्ष के लिये जाने जाने लगा था. लेकिन जिला पुलिस की पहल से इस हालात में बदलाव देखने में आ रहा है.
जिला एसपी अर्णव घोष की प्रेरणा से जिला पुलिस वर्ष 2018 से सामुदायिक विकास की जिस नीति को लागू किया है उससे विभिन्न तरह के अपराध और गैरकानूनी कामों में कमी आयी है. यहां तक कि केंद्र सरकार ने मालदा को अफीम की खेती से मुक्त राज्य घोषित कर दिया है.
मंगलवार को अपने कक्ष में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए एसपी अर्णव घोष ने पिछले दो साल का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया और यह साबित कर दिया कि वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में अपराध के ग्राफ में खासी कमी आयी है, जो इस सामाजिक अभियान की देन है.
अर्णव घोष ने बताया कि यह सही है कि कानून-व्यवस्था का काम पुलिस का है और वह यह काम बखूबी कर भी रही है. लेकिन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सामुदायिक विकास की आज के समय में सबसे बड़ी जरूरत है. यह काम जिला पुलिस ने किया है.
एसपी ने बताया कि दो साल पहले जिला पुलिस ने एक नंबर देकर ऐप और मोबाइल सेल तैयार किया था. उसके बाद गांव- गांव जाकर जागरूकता शिविर लगाये गये. इनके अलावा पुलिस ने युवाओं के लिये खेलकूद, वाद विवाद प्रतियोगिता और व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की है. मालदा जिले के सीमावर्ती इलाकों में इस तरह के क्रियाकलाप के चलते अपराधों में खासी कमी आयी है.
उन्होंने बताया कि दो साल पहले तक जिले में अफीम की खेती धड़ल्ले से हो रही थी. लेकिन अब वे दिन लद गये हैं. मालदा जिला अफीम की खेती से मुक्त जिला खुद केंद्र सरकार ने घोषित किया है. अब अवैध हथियार कारखानों के खिलाफ अभियान शुरु किया गया है.
इन सबके अलावा नौकरी व अन्य व्यावसायिक सुविधा के लिये अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रमाणपत्र दिलाने का भी काम किया जा रहा है. इसके अभाव में बहुत से लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित हो रहे थे. इन सबों के चलते मालदा जिले में पिछले दो साल में हत्या, डकैती, छिनताई, मारपीट और राजनैतिक संघर्ष की घटनाओं में कमी आयी है.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में जिले में हत्या के 44, संघर्ष के 22, जुआ के 313 और आबकारी विभाग की कार्रवाई में716 मामले दर्ज किये गये थे. वहीं, वर्ष 2018 में हत्या के 26, संघर्ष के 15, जुआ के 243 और आबकारी के 468 मामले दर्ज किये गये.