कोलकाता : पश्चिम बंगाल के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार को यू-टर्न ले लिया. कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं वाली टिप्पणी मजाक में की थी, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह बयान टीएमसी और भगवा दल के बीच हुए एक ‘गुप्त समझौता’ को दर्शाता है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए घोष ने शनिवार को कहा था कि बनर्जी को ‘फिट रहने की जरूरत है’, क्योंकि वह वर्तमान में एकमात्र ऐसी बंगाली हैं, जिनके पास पहला बंगाली प्रधानमंत्री बनने का मौका है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी दावा किया था कि मुख्यमंत्री बनर्जी बंगालियों की दौड़ में सबसे आगे हैं.
घोष ने कहा, ‘शनिवार को, जब पत्रकारों ने मुझसे ममता बनर्जी पर कोई टिप्पणी करने के लिए कहा, तो मैंने उनको बस अपनी शुभकामनाएं दी. मैंने उनके प्रधानमंत्री बनने के बारे में जो कुछ भी कहा, वह सिर्फ मजाक था. उनके जन्मदिन पर मैं तो बस मजाक कर रहा था.’
बहरहाल, कांग्रेस ने उन पर निशाना साधते हुए कि राज्य भाजपा अध्यक्ष का यह बयान उनकी तरफ से ‘एक तरह की स्वीकारोक्ति’ है, जो शायद यह जानते हैं कि इस साल के आम चुनाव के बाद भगवा पार्टी के केंद्र की सत्ता में लौटने की संभावना बहुत कम है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने बताया, ‘यह बयान दो चीजों को दर्शाता है : भाजपा और टीएमसी के बीच एक गुप्त समझौता और दूसरा, विपक्ष को विभाजित करने के लिए संघीय मोर्चों को बनाने की कोशिश.’
उन्होंने बताया कि घोष की टिप्पणी से पता चलता है कि उनको अब लग गया है कि भाजपा सत्ता में वापस नहीं आयेगी. इसी तरह की भावनाओं से इत्तेफाक रखते हुए, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व ने भी कहा कि ‘टीएमसी और भाजपा के बीच गुप्त समझौता’ अब खुलकर बाहर आ चुका है.
माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘हम तो लंबे समय से यह कह रहे हैं कि टीएमसी और भाजपा राज्य में एक प्रायोजित राजनीतिक मैच खेल रही है. अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने खुद अपनी टिप्पणी से इसका प्रमाण दे दिया है.’
अपने बयान का बचाव करते हुए घोष ने कहा कि उनकी टिप्पणी को ‘गंभीरता से’ नहीं लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘थोड़ी-सी भी राजनीतिक समझ रखने वाला कोई भी व्यक्ति बहुत अच्छी तरह से यह कह सकता है कि ममता बनर्जी कभी भी अपनी लोकसभा सीटों की संख्या के साथ प्रधानमंत्री नहीं बन सकती हैं.’ इस मामले को लेकर संपर्क किये जाने पर टीएमसी नेतृत्व ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया.