कोलकाता : पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ सकती है कांग्रेस
कोलकाता : उत्तर प्रदेश के बाद कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ सकती है. राज्य के अधिकांश वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रतिनिधियों को सलाह दी है कि तृणमूल शासित राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है. उनका तर्क है कि ममता बनर्जी की पार्टी से […]
कोलकाता : उत्तर प्रदेश के बाद कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ सकती है. राज्य के अधिकांश वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रतिनिधियों को सलाह दी है कि तृणमूल शासित राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है.
उनका तर्क है कि ममता बनर्जी की पार्टी से कोई भी गठबंधन होगा तो ये राज्य कांग्रेस के लिए विनाशकारी हो सकता है. राहुल गांधी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी, राज्य कांग्रेस इकाई के विचारों को लेकर संवेदनशील है.
एआईसीसी ने बंगाल में लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर धैर्य के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है. जबकि अन्य राज्यों में चुनावी तैयारियों पर तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है और व्यावहारिक गठबंधन पर ध्यान दिया जा रहा है. पश्चिम बंगाल के नेताओं ने टीएमसी के साथ गठबंधन ना करने के तीन तर्क दिए हैं.
पहला यह कि ममता बनर्जी कांग्रेस के पारंपरिक आधार वाले मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तरी दिनापुर जिलों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं. इससे कांग्रेस के स्थानीय नेताओं में उन्हें लेकर भारी नाराजगी है.
दूसरा तर्क यह कि अगर तृणमूल-कांग्रेस का गठबंधन होता है तो भाजपा राज्य में विपक्ष की जगह हथिया सकता है, क्योंकि बंगाल में माकपा की अगुवाई वाला लेफ्ट फ्रंट उस स्थिति में नहीं है कि वो टीएमसी के खिलाफ भाजपा को विपक्ष में आने से रोक सके.
तीसरा तर्क यह है कि कांग्रेस का टीएमसी के प्रति नरम बर्ताव से पार्टी कार्यकर्ता हताश हो सकते हैं जो तृणमूल के विस्तार का सामना कर रहे हैं. इसके साथ ही प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता लेफ्ट के साथ गठबंधन के लिए इच्छुक नहीं हैं. उनका मानना है कि वो अब अपने दम पर तृणमूल को चुनौती नहीं दे सकते हैं, कारण कि माकपा से गठबंधन की स्थिति में लोग भाजपा या तृणमूल को वोट देंगे.
बंगाल में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने माकपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन दोनों को मुंह की खानी पड़ी. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 34 सीटों पर सफलता मिली थी, जबकि कांग्रेस को 4 और भाजपा को 2 सीटें मिली थी. माकपा जिसने कभी बंगाल में 34 साल राज किया था उन्हें इस चुनाव में मात्र 2 सीटें मिली थी.