कोलकाता : एमपीएस के कर्णधार की जमानत मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट में पहुंचे सीबीआइ के क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव. आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए सीबीआइ का कहना था कि सुनवाई के दौरान जमानत देने पर जांच पर प्रभाव पड़ेगा. न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ में सीबीआइ की ओर से वकील कौशिक चंद ने हलफनामा पेश किया.
इसमें कहा गया है कि एमपीएस की जांच प्रक्रिया को पूरा करने में सीबीआइ को और डेढ़ वर्ष का समय लगेगा. इसके कारण के तौर पर बताया गया है कि और 67 लोगों की गवाही लेनी होगी.
हर महीने चार लोगों की गवाही ली जायेगी. इसके अलावा 180 दस्तावेजों की जांच भी करनी है. लिहाजा जांच कार्य पूरा करने में सीबीआइ को 2020 के जुलाई महीने तक का वक्त लग जायेगा. इस बीच, यदि जमानत दी जाती है, तो जांच कार्य पर प्रभाव पड़ेगा.
गौरतलब है कि एमपीएस के कर्णधार प्रमोथनाथ मान्ना की जमानत मामले में सीबीआइ के संयुक्त निदेशक व सीबीआइ के एसपी को हाइकोर्ट ने तलब किया था. अदालत ने सीबीआइ के दोनों अधिकारियों से जानना चाहा कि सुनवाई की प्रक्रिया कैसे आगे चलेगी.
करीब ढाई हजार करोड़ रुपये के चिटफंड मामले की जांच में सीबीआइ ने एमपीएस के कर्णधार प्रमोथनाथ मान्ना और शांतनु चौधरी को गिरफ्तार किया था. मामला गत चार वर्षों से विचाराधीन है.