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अपने पुनरुद्धार की बाट जोहता अलीपुर विचार संग्रहालय

कोलकाता : कोलकाता. शहीदों की मजारों पर लगेगें हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही अंतिम निशां होगा. यह पंक्ति केवल किताबों के पन्नों पर ही दर्ज होकर रह गयी है. अलीपुर स्थित विचार संग्रहालय जहां इंडियन नेशनल आर्मी के संस्थापक व इंफाल में पहली बार आजाद भारत का झंडा फहराने वाले सुभाष […]

कोलकाता : कोलकाता. शहीदों की मजारों पर लगेगें हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही अंतिम निशां होगा. यह पंक्ति केवल किताबों के पन्नों पर ही दर्ज होकर रह गयी है. अलीपुर स्थित विचार संग्रहालय जहां इंडियन नेशनल आर्मी के संस्थापक व इंफाल में पहली बार आजाद भारत का झंडा फहराने वाले सुभाष बोस की यादगार धरोहर धूल फांकती हुई इन पंक्तियों पर शर्म महसूस कर रही है.

अलीपुर सिविल कोर्ट के जिला जज कार्यालय के नीचे स्थित अलीपुर विचार संग्रहालय के नाम से अवस्थित यह स्थान आज भी अपने पुनरुद्धार की बाट जोह रहा है. जहां नेताजी सुभाष बोस के धरोहरों को रखा गया है.

इतना ही नहीं यह स्थान और एक कारण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां खुदीराम को फांसी देने से लेकर महर्षि अरविंद पर अलीपुर बम कांड को लेकर मुकदमें की सुनवाई हुई थी. महानगर के बीचो-बीच होने के बाद भी नेताजी सुभाष बोस की तरह ही गुमनामी में खोया यह स्थान आजादी के दीवानों से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों का अहम संग्रह स्थान है.

अजीबोगरीब स्थिति है कि अलीपुर बार एशोसिएशन का कहना है कि इसकी देखभाल की जिम्मेदारी कलकत्ता हाईकोर्ट की है. लापरवाही व बदइंतजामी की वजह से आजादी की लड़ाई के शहीदों से जुड़े दस्तावेजों के संरक्षण के लिए कोई भी चिंतित नहीं है.
फोटो लेने की मनाही होने की वजह से इसे दिखाना संभव नहीं पर स्थिति यह है कि केंद्र सरकार सुभाष बोस को लेकर अपनी चिंता जाहिर करने के बाद भी इसके प्रति उदासीन रवैया अपना रही है. यही वह स्थान है जहां चितरंजन दास जैसे वकील ने आजादी के दीवानों को अपनी वकालती से अंग्रेज शासन के चंगुल से छुड़ाने का काम किया था.

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