कोलकाता : सेल्फी सुंदर बनायेंगे, सर्जरी भले करायेंगे

कोलकाता : सेल्फी लेने और उसे सोशल साइटों पर अपलोड करने का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. एक ताजा अध्ययन के मुताबिक सेल्फी लेने के बाद बहुत से लोग अपने रंग-रूप से संतुष्ट नहीं होते और कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने के बारे में सोचने लगते हैं. यह शौक स्वास्थ्य के लिए काफी घातक हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2019 2:53 AM

कोलकाता : सेल्फी लेने और उसे सोशल साइटों पर अपलोड करने का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. एक ताजा अध्ययन के मुताबिक सेल्फी लेने के बाद बहुत से लोग अपने रंग-रूप से संतुष्ट नहीं होते और कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने के बारे में सोचने लगते हैं. यह शौक स्वास्थ्य के लिए काफी घातक हो सकता है.

गुरुवार को फेशियल कॉस्मेटिक सर्जन व द एस्थेटिक क्लीनिक्स के निदेशक डॉ देवराज शोम ने एक संवाददाता सम्मेलन में इसका खुलासा किया. उन्होंने बताया कि एस्थेटिक क्लीनिक्स की ओर से उन 300 लोगों पर अध्ययन किया गया जो कॉस्मेटिक सर्जरी कराने के लिए कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद स्थित एस्थेटिक क्लिनिक गये. अध्ययन में पाया गया कि किसी फिल्टर (एप) का उपयोग किये बिना सेल्फी पोस्ट करनेवाले लोगों में चिंता बढ़ने लगती है और आत्मविश्वास में कमी आ जाती है.

जो लोग सेल्फी में सुधार किए बिना या सुधार करके भी सेल्फी पोस्ट करते हैं, उनमें शारीरिक आकर्षण को लेकर हीन भावना आ जाती है. चेहरे में बदलाव के लिए उनमें कॉस्मेटिक सर्जरी का क्रेज बढ़ने लगता है.

उन्होंने कहा कि अध्ययन में भारत में सेल्फी के कारण 62 प्रतिशत पुरुषों और 65 प्रतिशत महिलाओं में कॉस्मेटिक सर्जरी का क्रेज बढ़ा है. दिल्ली में 64 प्रतिशत पुरुषों में और 77 प्रतिशत महिलाओं में, मुंबई में 62 प्रतिशत पुरुषों में और 74 प्रतिशत महिलाओं में, हैदराबाद में 59 प्रतिशत पुरुषों में और 65 प्रतिशत महिलाओं में, कोलकाता में 56 प्रतिशत पुरुषों में और 60 प्रतिशत महिलाओं में सेल्फी के लिए सर्जरी का क्रेज बढ़ा है.

वहीं, सेल्फी लेनेवालों में एंग्जाइटी, आत्मविश्वास की कमी और शारीरिक आकर्षण में कमी महसूस करने के मामले में कोलकाता चौथे स्थान पर है. उन्होंने बताया कि जो लोग सेल्फी में सुधार किए बिना या सुधार करके भी सेल्फी पोस्ट करते हैं, उनमें शारीरिक आकर्षण को लेकर हीन भावना आ जाती है. अधिक सेल्फी लेने की प्रवृत्ति का बहुत ही घातक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है.

औसतन 16-25 वर्ष के बीच के पुरुष और महिलाएं प्रति सप्ताह 5 घंटे तक सेल्फी लेते हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत प्रोफाइल पर अपलोड करते हैं. ये निष्कर्ष सोशल मीडिया और सेहत को लेकर महत्वपूर्ण चिंता पैदा करते हैं.

रोकथाम के लिए सरकार को करनी होगी पहल
उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार से अनुरोध है कि मोबाइल में फ्रंट-फेसिंग कैमरों पर प्रतिबंध लगाने पर गंभीरता से विचार करे. साथ ही अधिक से अधिक लोगों में जागरूक करने की जरूरत है, तभी इससे निजात मिल सकती है. सेल्फी के कारण ही कइयों की जान चली जाती है.

Next Article

Exit mobile version