कोलकाता : अपनी सुविधा के लिये लोगों द्वारा बनायी गयी कई चीजें उन्हीं के लिये खतरा बन गयी है. जी हां, यहां बात पॉलिथीन की हो रही है जो पर्यावरण में जहर घोल रहा है. यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी यह नुकसानदेह है. मौजूदा समय में पर्यावरण और मानव समाज के भले के लिए पाॅलिथीन मुक्त देश बनाने की अहम जरूरत है.
यह मांग ‘प्रभात खबर’ की ओर से आयोजित परिचर्चा में विशिष्ट लोगों ने की. प्रभात खबर जन संवाद परिचर्चा का विषय ‘पर्यावरण में जहर घोल रहा पॉलिथीन’ रखा गया था. परिचर्चा का आयोजन उत्तर 24 परगना जिला के बैरकपुर एसएन बनर्जी रोड इलाके में किया गया था. परिचर्चा का संचालन निशांत कुमार ने किया. आइये जानते हैं परिचर्चा के दौरान लोगों की कही बातें :
निशांत कुमार (अध्यक्ष, सेंटर फॉर सोशल ट्रांसफाॅर्मेशन) :
पॉलिथीन के बढ़ते प्रचलन और व्यवहार से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है. जाने-अनजाने लोग इसमें अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. इसके हानिकारक पहलू को समझे बगैर लोग अपने दैनिक जीवन में लगातार प्लास्टिक बैग व पॉलिथीन का प्रयोग कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक अकेले बैरकपुर अंचल में प्रतिदिन ढाई सौ किलो पॉलिथीन की खपत हो रही है.
शहर में जहां-तहां प्लास्टिक कचरे के अंबार को आसानी से देखा जा सकता है. इस कचरे से कई हानिकारक गैस निकलती है, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक है. सटीक ठोस कचरा प्रबंधन के अभाव में प्लास्टिक कचरे को जलाकर नष्ट किया जा रहा है. इससे निकलने वाला धुआं पर्यावरण में जहर घोल रहा है. पूरे देश में पॉलिथीन के व्यवहार पर रोक लगाना चाहिए. साथ ही लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिये वृक्षारोपण पर जोर देना चाहिए.
राजेश कुमार यादव :
आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने सबसे अधिक पर्यावरण को ही चोट पहुंचाया है. लोगों की सुविधा के लिए ईजाद किया गया पॉलिथीन आज मानव जाति के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है. नष्ट न होने के कारण यह भूमि की उर्वरा क्षमता को खत्म कर रहा है और भूजल स्तर को घटा रहा है.
पॉलिथीन एक ऐसा पदार्थ है जिसके कारण जल, मृदा और वायु तीनों प्रकार के प्रदूषण इससे होते है और साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी हानिकारक है. प्लास्टिक है धीमा जहर जो पृथ्वी को मार रहा है प्रतिदिन. प्लास्टिक हटाओ और जीवन बचाओ के नारे को सच साबित करना होगा.
मोहम्मद अब्दुल खालिक :
लोग प्लास्टिक से बनी थाली, ग्लास और कप का प्रयोग करने लगे हैं. जो स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक है. पाॅलिथीन व प्लास्टिक का सीमित व्यवहार जरूरी है.
नौशाद अली (अधिवक्ता) :
प्रतिबंधित होने के बावजूद जिले भर में पॉलिथीन थैलियों का उपयोग बढ़ रहा है. ये हमारी सांसों में जहर घोल रहा है. प्लास्टिक थालियों के उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध होने के बावजूद जिले भर में धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है. शहरों में कभी-कभार अभियान चलाकर जरूर सड़क पर सब्जी-फ्रूट समेत अन्य खाद्य सामग्री बेचने वालों पर कार्रवाई की जाती है लेकिन फायदा नहीं हो पाता.
दुकानदारों के जागरूक नहीं होने के कारण प्लास्टिक के थैले शहर में गंदगी फैलाने, नालों को जाम करने के साथ पर्यावरण को भी दूषित कर रहे हैं. पशुओं के लिए ये जानलेवा हैं. जनजीवन को भी खतरे में डाल रहा है. जिले को की समस्या से मुक्त करने के लिए प्रशासन से ज्यादा नागरिकों व्यापारियों का सहयोग जरूरी है.
स्वातिलेखा घोष :
लोग कागज के थैली का उपयोग इसलिए नहीं करते क्योंकि उसमें हैंडल नहीं होता. फटने के डर के चलते लोग सुविधा को देखते हुए पॉलीथिन का ही उपयोग करते हैं. रंगीन या सफेद प्लास्टिक के जार, कप या इस तरह के किसी भी उत्पाद में खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है. इनमें मौजूद बिसफिनोल-ए नामक जहरीला पदार्थ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है. पॉलिथीन पर पूर्ण पाबंदी लगाया जाये.
अनामिका हालदार
प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल कैंसर की वजह बन सकता है. एक शोध के मुताबिक जब ज्यादा तापमान या धूप की वजह से बोतल गर्म होती है तब उसके प्लास्टिक से डाई ऑक्सिन का स्राव शुरू हो जाता है. यह डाइ ऑक्सिन हमारे शरीर में घुलकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. महिलाओं में यह ब्रेस्ट कैंसर का कारण बनता है.
प्लास्टिक व पॉलिथीन मुक्त भारत बनाने की काफी जरूरत है. परिचर्चा में विनोद कुमार साव, शेख शाहजहां, अरमान अली, विनोद कुमार सिंह, पी विश्वास, शुभाशीष कुंडू, शेख नसीम, शेख अली, मोहम्मद मुस्लिम, रतन दास समेत अन्य गणमान्य मौजूद रहे.