सारधा मामला : हाइकोर्ट ने पूछा क्यों भंग किया श्यामल सेन आयोग

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने सारधा चिटफंड कंपनी घोटाला मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब आपने निवेशकों को रुपया लौटाने के लिए ही श्यामल सेन आयोग का गठन किया था तो रुपये लौटाने की प्रक्रिया खत्म होने के पहले ही इसे क्यों भंग कर दिया गया. गुरुवार को मामले की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 8, 2019 5:48 AM

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने सारधा चिटफंड कंपनी घोटाला मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब आपने निवेशकों को रुपया लौटाने के लिए ही श्यामल सेन आयोग का गठन किया था तो रुपये लौटाने की प्रक्रिया खत्म होने के पहले ही इसे क्यों भंग कर दिया गया. गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जयमाल्य बागची व न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया है.

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि श्यामल सेन आयोग को भंग करने के संबंध में राज्य सरकार को पूरी रिपोर्ट देनी होगी, साथ ही यह भी बताना होगा कि राज्य सरकार ने किस प्रकार से चिटफंड कंपनी के निवेशकाें का रुपया लौटाया है. किन-किन लोगों को रुपया वापस मिला है. उनकी संख्या कितनी है. किस आधार पर उन लोगों को रुपया लौटाया गया है. राज्य सरकार के इस पहल से निवेशकों को उनका रुपया मिला है, लेकिन अभी भी श्यामल सेन आयोग के पास कितना रुपया बचा है और वह कहां है.
इस पर राज्य सरकार के वकील ने अमितेष बंद्योपाध्याय ने बताया कि सारधा चिटफंड कंपनी के निवेशकों को रुपया वापस करने के लिए राज्य सरकार ने 287 करोड़ रुपये दिये थे, जिसमें से 251 करोड़ खर्च किये जा चुके हैं. बाकी रुपया राज्य सरकार के कोष में जमा है. इसके अलावा, सारधा चिटफंड कंपनी की संपत्तियों को बेच कर 2.39 करोड़ रुपये मिले हैं, जो स्ट्रैंड रोड स्थित एक राष्ट्रीयकृत बैंक के पास जमा हैं. उन्होंने बताया कि 22 अक्तूबर 2014 तक श्यामल सेन आयोग की अवधि थी, जिसे और आगे नहीं बढ़ाया गया.
अवमानना मामले में अगली सुनवाई 13 को
कोलकाता. सारधा चिटफंड मामले में एसआइटी के चार अफसरों को सीबीआइ द्वारा नोटिस भेजने के मामले में गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में राज्य सरकार के वकील की ओर से सुनवाई के दिन आगे बढ़ाने की अर्जी रखी गयी, जिसके बाद ही सीबीआइ की तरफ से उपस्थित वकील ने आपत्ति जतायी और मामले की सुनवाई जल्द करने की अर्जी रखी.
हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान ही राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़े मामले में अगली सुनवाई 20 फरवरी को होने का हवाला देते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट को भी 20 फरवरी को ही सुनवाई करने की अर्जी रखी, जिसके बाद सीबीआइ के वकील ने आपत्ति जताते हुए इसे उस मामले से अलग बताते हुए सुनवाई की अर्जी रखी, जिसके कलकत्ता हाइकोर्ट ने सीबीआइ की अर्जी को मंजूर करते हुए मामले में 13 फरवरी को अगली सुनवाई करने की घोषणा की.
मालूम हो कि कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा एसआइटी के कुछ अधिकारियों पर सारधा मामले में पूछताछ पर स्टे अॉर्डर दिया गया है, जबकि सारधा मामले में पूछताछ के लिए सीबीआइ द्वारा कोलकाता पुलिस कमिश्नर को नोटिस भेजा गया था, जिसे लेकर हाइकोर्ट में अवमानना का मामला किया गया है.

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