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हिंदी भारत की मिट्टी जैसी, इसे मिटाया नहीं जा सकता : इरशाद कामिल

अपने अच्छाइयों पर खुश होने का यह समय नहीं, समय है अपनी अच्छाई को बचाने का, यही कलम की लड़ाई है ‘जब वी मेट’ और आशिकी-2 जैसी हिट फिल्मों के गीत लिख चुके इरशाद कामिल कोलकाता : हिंदी भारत की मिट्टी जैसी है, इसे मिटाया नहीं जा सकता है. गाने लिखना अलग बात है. लेखक […]

अपने अच्छाइयों पर खुश होने का यह समय नहीं, समय है अपनी अच्छाई को बचाने का, यही कलम की लड़ाई है
‘जब वी मेट’ और आशिकी-2 जैसी हिट फिल्मों के गीत लिख चुके इरशाद कामिल
कोलकाता : हिंदी भारत की मिट्टी जैसी है, इसे मिटाया नहीं जा सकता है. गाने लिखना अलग बात है. लेखक यदि चरित्र के लिए कार्य कर रहे हैं और उसमें अगर वे नमक बराबर भी साहित्य डालते हैं, तो यह अपनी तरफ से लेखकों का योगदान है.
यह अलग बात है कि पाठक उसे समझ पाते हैं या नहीं. ये बातें प्रसिद्ध हिंदी व उर्दू के कवि व कई फिल्मों के लिए गीत लिख चुके इरशाद कामिल ने पब्लिशर्स एंड बुक सेलर्स द्वारा 43वें बुक फेयर में आयोजित ‘कोलकाता लिटरेचर फेस्टिवल’ में कहीं. उन्होंने कहा कि वे युवाओं के एक ऐसे समूह को भी जानते हैं, जो हिंदी गानों से हिंदी सीख रहे हैं.
‘जब वी मेट’ और आशिकी-2 जैसी हिट फिल्मों के गीत लिख चुके इरशाद ने कहा कि अब लेखकों को अपनी अच्छाइयों पर खुश होने का समय नहीं है, समय है अपनी अच्छाइयों को लेखनी में बचाये रखने का है, यही कलम की लड़ाई है.

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