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28 सप्ताह की गर्भवती ने गर्भपात के लिए अदालत से लगायी गुहार, जानें पूरा मामला

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय से 42 वर्षीय महिला ने शुक्रवार को अपना गर्भपात कराने की मंजूरी मांगी. 28 सप्ताह की गर्भवती महिला की मेडिकल रिपोर्टों में कहा गया है कि उसका बच्चा डाउन सिंड्रोम और घेघा रोग, दिल और पेट की बीमारियों के साथ जन्म लेगा. एकल पीठ ने गर्भपात की अनुमति देने से इनकार […]

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय से 42 वर्षीय महिला ने शुक्रवार को अपना गर्भपात कराने की मंजूरी मांगी. 28 सप्ताह की गर्भवती महिला की मेडिकल रिपोर्टों में कहा गया है कि उसका बच्चा डाउन सिंड्रोम और घेघा रोग, दिल और पेट की बीमारियों के साथ जन्म लेगा.
एकल पीठ ने गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया जिसके बाद उनकी वकील कलोल बसु और अपलक बसु ने अदालत की खंडपीठ का रुख किया. महिला ने कहा कि बच्चे को खोना किसी मां के लिए सबसे बुरा सपना होता है.
उसने कहा कि उसकी उम्र और वित्तीय स्थिति बच्चे के इलाज और देखभाल के रास्ते में आड़े आएगी. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बी सोमादर के नेतृत्व वाली पीठ को वकीलों ने यह भी बताया कि परिवार की वित्तीय स्थिति के कारण उचित चिकित्सीय देखभाल ना मिलने पर बच्चे को परेशानी उठानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता गृहिणी अनुमति मिलने पर निजी अस्पताल में गर्भपात कराएगी क्योंकि सरकारी अस्पताल इस स्तर पर गर्भपात नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि महिला का 48 वर्षीय पति एक निजी कंपनी में काम करता है और मामूली वेतन पाता है.
दंपत्ति का एक और बच्चा है जो 13 साल का है. खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली और अपना फैसला सुरक्षित कर लिया. वह मामले की गंभीरता को देखते हुए आगामी सप्ताह में फैसला सुना सकती है.
खंडपीठ में न्यायमूर्ति अरिंदम मुखर्जी भी शामिल हैं. गर्भपात कानून, 1971 के अनुसार 20 सप्ताह या उससे अधिक के भ्रूण को गिराने के लिए उच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है.

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