कोलकाता : प्रदूषणरहित सफर कराने वाले ट्राम के कर्मचारी गंदगी में रहने को मजबूर

– ‘ओपेन वैट’ से नोनापुकूर ट्राम डिपो का इलाका बना कचरा घर – गंदगी व बदबू से परेशान कर्मचारियों में संक्रमण का बढ़ता खतरा शिव कुमार राउत, कोलकाता महानगर की सड़कों पर बने लोहे की पटरियों पर चलता ट्राम रफ्तार के मामले में आज भले ही बस, कार और मोटरसाइकिल जैसे वाहनों से पिछड़ गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2019 9:25 PM

– ‘ओपेन वैट’ से नोनापुकूर ट्राम डिपो का इलाका बना कचरा घर

– गंदगी व बदबू से परेशान कर्मचारियों में संक्रमण का बढ़ता खतरा

शिव कुमार राउत, कोलकाता

महानगर की सड़कों पर बने लोहे की पटरियों पर चलता ट्राम रफ्तार के मामले में आज भले ही बस, कार और मोटरसाइकिल जैसे वाहनों से पिछड़ गया है. लेकिन वातावरण व विरासत के संरक्षण के मामले में वह इन वाहनों से तो कई गुना आगे है. पर समय के संग बदलता शहर, सत्ता व उसकी विकास-कल्याण की योजनाओं के बीच अपनी तमाम ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहचान के गौरवपूर्ण अतीत के बाद भी ट्राम दम तोड़ता नजर आ रहा है.

तो वहीं उसके कर्मचारियों को अपना अस्तित्व बचाने के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी जूझना पड़ रहा है. वह भी ट्राम और इलेक्ट्रिक बस की बॉडी तैयार करनेवाली नोनापुकुर ट्राम डिपो में. महानगर के 61 नंबर वार्ड के आचार्य जगदीश चंद्र बोस रोड स्थित इस नोनापुकुर ट्राम डिपो में लगभग 550-600 कर्मचारी कार्यरत हैं. लेकिन डिपो से सटे बिजली रोड इलाके का एक ओपेन वैट डिपो के कर्मचारियों का जीना मुहाल कर रखा है.

डिपो के कर्मचारियों का कहना है कि, ‘ओपने वैट होने के कारण इसमें कचरा का अंबार लगा रहता है. जबकि पास ही निगम का कंपैक्टर स्टेशन भी है. लेकिन इसके बावजूद भी कचरा इसी में फेंका जाता है. कचरे के ढेर से उठनेवाली गंध से काम करना मुश्किल हो गया है. खासकर दोपहर में जब धूप व गर्मी से कचरे के ढेर से बदबू उठती है तो यहां रहना दूभर हो जाता है. इतना ही नहीं तेज हवा से कचरा उड़कर अंदर भी आ जाता है. कई बार तो हमें सिरदर्द हो जाता है. जी मिचलता है.

आगे कर्मचारियों का कहना है कि हालांकि कई बार निगम से कूड़े व गंदगी की समस्या की शिकायत भी की गयी है, पर निगम उदासीन बना रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि वेस्ट बंगाल ट्रांसपोर्ट कॉपोरेशन (डब्ल्यूबीटीसी) ट्राम का संचालन करती है. ऐसे में डब्ल्यूबीटीसी से भी शिकायत की गयी है. लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है. पेट का सवाल है. सेहत के साथ समझौता करके डिपो में काम करना पड़ता है.

ऐसा लगने लगा कि ट्राम के साथ-साथ अब तो हम कर्मचारियों के जीवन पर भी प्रश्नचिन्ह्र सा लग गया है. कभी 1400 कर्मचारी यहां काम किया करते थे. लेकिन अब ना वैसा समय रहा ना सुविधा. बीमारियों का मौसम आनेवाला है. लगता है डिपो के कर्मचारी ही सबसे पहले इसके चपेट में आयेंगे.

क्‍या कहना है निगम का

कोलकाता नगर निगम के डिप्‍टी मेयर अतिन घोष ने कहा कि निगम का स्वास्थ्य विभाग जल्द ही उक्त इलाके कर दौरा कर वैट की सफाई करेगा. इसके बाद भी अगर कूड़ा फेंका जाता है ,तो ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. जहां- तहां कूड़ा फेंकने वालों पर पांच हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

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