सरकारी नौकरी से तौबा कर रहे डॉक्टर

16-16 घंटे की ड्यूटी, वेतन में विसंगतियां और मारपीट से हैं परेशान अब तक 600 डॉक्टर वीआरएस के लिए कर चुके हैं आवेदन कोलकाता : पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों का सरकारी अस्पतालों से मोहभंग हो रहा है. मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच कुछ डॉक्टरों को 16-16 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है. वहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2019 2:38 AM

16-16 घंटे की ड्यूटी, वेतन में विसंगतियां और मारपीट से हैं परेशान

अब तक 600 डॉक्टर वीआरएस के लिए कर चुके हैं आवेदन

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों का सरकारी अस्पतालों से मोहभंग हो रहा है. मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच कुछ डॉक्टरों को 16-16 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है. वहीं अस्पतालों में मरीजों के मारपीट के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. इन दिक्कतों से तंग आकर डॉक्टर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, अब तक करीब 500-600 डॉक्टर वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं, हालांकि किसी आवेदन को स्वीकृति नहीं मिली है.

इस विषय में सर्विस डॉक्टर फोरम के महासचिव डॉ सजल विश्वास ने बताया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों के चिकित्सकों का हाल बेहाल है. उन्होंने कहा कि महानगर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों का राज्य के सुदूर जिला अस्पतालों में ट्रांसफर कर दिया जा रहा है. सरकारी अस्पतालों में कार्य का परिवेश नहीं है. वहीं मरीज के परिजन चिकित्सकीय लापरहवाही का आरोप लगा कर डॉक्टरों पर हमला कर दे रहे हैं.

इससे डॉक्टर काफी परेशान हैं. ट्रांसफर के भय से पिछले साल करीब 85 चिकित्सकों ने इस्तीफा दे दिया था. इस बार भी अब तक करीब 40 चिकित्सकों का जहां-तहां ट्रांसफर किया गया है. वहीं विभिन्न सरकारी अस्पताल में कार्यरत करीब 300 चिकित्सक पिछले एक वर्ष से बिना प्रशासन को सूचित किये गायब हैं. न ही उन्होंने त्याग पत्र दिया है और न ही छुट्टी की कोई अर्जी दाखिल की है. डॉ विश्वास ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि मनपसंद जगहों पर ट्रांसफर के लिए स्वास्थ्य भवन के अधिकारी घूस भी लेते हैं.

20 साल बाद ले सकते हैं वीआरएस

विशेषज्ञों के मुताबिक, सेवा नियामवली के 56सी के तहत प्रावधान है कि अगर कोई कर्मचारी 20 साल की ड्यूटी पूरी कर लेता है तो वह वीआरएस के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन सरकार डॉक्टरों की कमी का हवाला देकर उन्हें वीआरएस नहीं दे रही. साथ ही सरकार ने डॉक्टरों की रिटायरमेंट की आयु दो साल बढ़ा दी है. अब चिकित्सकों को 65 साल की उम्र तक सेवा देनी पड़ रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी

सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं चिकित्सकों के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें वीआरएस भी दिया जा रहा है.

प्रो. डॉ प्रदीप मित्रा, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक, राज्य स्वास्थ्य विभाग.

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